Tuesday, July 15, 2014

कृषि और कृषक कल्‍याण योजनाएं (पुनर्गठन)

कृषि और सहकारिता विभाग पहले देश में कृषि विभाग और किसानों के कल्‍याण की 51 योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा था। इन योजनाओं का हाल ही में पुनर्गठन किया गया है। पुनर्गठन के बाद अब ये पांच केन्‍द्र प्रायोजित मिशन, केन्‍द्रीय क्षेत्र की पांच योजनाएं और राज्‍य योजना की एक योजना हो गई हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं :-
1. केन्‍द्र प्रायोजित मिशन
·        राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन  
·        राष्‍ट्रीय टिकाऊ कृषि मिशन
·        राष्‍ट्रीय तिलहन और ऑयल पाम मिशन
·        राष्‍ट्रीय कृषि विस्‍तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन
·        बागवानी के समन्वित विकास का मिशन
2.  केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजनाएं
·        राष्‍ट्रीय फसल बीमा कार्यक्रम
·        कृषि सहकारिता संबंधी समन्वित योजना
·        कृषि विपणन के लिए समन्वित योजना
·        कृषि संगणना, अर्थव्‍यवस्‍था और सांख्यिकी संबंधी समन्वित योजना
·        आर्थिक सेवा सचिवालय
3. राज्‍य योजना की स्‍कीम  
·     राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना
इन योजनाओं की राष्‍ट्रीय, राज्‍य और क्षेत्रीय स्‍तर पर निरंतर समीक्षा की जाती है और मूल्‍याकंन भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इन योजना के कार्यान्‍वयन में आने वाली कमियों का पता लगाने के लिए राज्‍यों के साथ बैठकों और क्षेत्रीय तथा राष्‍ट्रीय रबी/खरीफ मौसम के सम्‍मेलनों के मध्य चर्चा की जाती है। इस प्रकार चिन्हित त्रुटियों को दूर करने के उपायों यथा योजनाओं का सुधार और/अथवा कारगर कार्यान्‍यन के लिए मार्ग निर्देशों पर संबद्ध राज्‍य सरकारों के साथ विचार किया जाता है।
यह जानकारी कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उ़द्योग राज्‍य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने आज लोक सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Monday, July 14, 2014

गंगा विकास एवं पुनरुद्धार

12वीं योजना के मध्य राष्ट्रीय गंगा नदी थाला विकास प्राधिकरण (एनजीआरबीए), को लिए रुपये 2200 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस संस्था को गंगा नदी में प्रदूषण रोकने का काम सौंपा गया है। इसके अतिरिक्त गंगा नदी के पुनरुद्धार कार्यक्रम पर पूरा बल दिया जा रहा है। कार्यक्रम में विभिन्न हितधारकों से विचार -विमर्श करके गंगा की सफाई में प्रगति की समीक्षा की गई। इस काम में विभिन्न हितघारक हैं, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, जल संसाधन, गंगा पुनरूद्धार और नदी विकास तथा शहरी विकास मंत्रालय, पर्यटन, जहाजरानी, पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता तथा ग्राम विकास मंत्रालय, विभिन्न एनजीओ, विशेषज्ञ भी इस काम में साथ हैं तथा गंगा की सफाई के लिए काम कर रहे हैं। काम में गंगा नदी से जुड़े हुए पर्यावरण और प्रवाह जैसे मुद्दे शामिल हैं और उनके माध्यम गंगा नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा रहा है। 
यह जानकारी आज राज्य सभा में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक लिखित उत्तर में दी।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Sunday, July 13, 2014

पहला अनुसंधान पोत सिंधु साधना,

प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार), परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं भू-विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज गोवा में मर्मूगावो बंदरगाह पर, एक ऐतिहासिक समारोह में, देश में बना पहला अनुसंधान पोत सिंधु साधना, राष्ट्र को समर्पित किया। इसे हाल ही में सीएसआईआर- राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान द्वारा खरीदा गया था। सिंधु साधना एक बहु विषयी अनुसंधान पोत है, जिसमें आकड़ा संग्रह, ईको साउंडर्स, अकोष्टिक डाप्लर, प्रोफाइलर, स्वा्यत्त मौसम केन्द्र , वायु गुणवत्ता नियंत्रक और कई अन्य विश्‍व स्तरीय आधुनिक उपकरण लगे हैं। 
इस अवसर पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 30 जून को श्री हरिकोटा से पीएसएलवी 23 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के बाद सिंधु साधना का जलावतरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। 
इस अवसर पर जहाज के कैप्टन और चालक दल के सदस्‍यों के अतिरिक्त डीजी सीएसआईआर डॉ. पी एस आहूजा, निदेशक सीएसआईआर - एनआईओ डॉ. एस डब्‍ल्‍यू ए नकवी तथा कई अन्‍य वैज्ञानिक और नाविक उपस्थित थे। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Friday, July 11, 2014

आंतरिक सुरक्षा, बजटीय प्रावधान

आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और दिल्‍ली पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए बजटीय प्रावधान में बड़ी वृद्धि की गई है। इसके लिए धनराशि में 12.53% से भी अधिक वृद्धि के साथ गत वर्ष के 56,303.84 करोड़ रूपए से बढ़ाकर, इसे 63,585.26 करोड़ रूपए कर दिया गया है। 
पुलिस अनुदान जो केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों से संबंधित है, उसमें भी उल्‍लेखनीय वृद्धि की जा रही है, जैसा कि गृह मंत्रालय वर्तमान वित्‍त वर्ष के मध्य और भी अधिक बटालियनों को स्‍थापित करने की योजना बना रहा है। इसके अधीन धनराशि को 13.75% बढ़ाकर 52,264.81 करोड़ रूपए से 59,450.76 करोड़ रूपए किया गया है। 
पुलिस बल के अधिकारियों और जवानों द्वारा किये गये योगदान का महत्‍व देते हुए, राष्‍ट्रीय पुलिस स्‍मारक के लिए 50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
कश्‍मीर से पलायन करने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए वर्तमान वित्‍त वर्ष में विशेष सहायता के रूप में 500 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
मुख्‍य क्षेत्र के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बीच समुचित संचार नेटवर्क स्थापित करने के उद्देश्‍य से 150 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Thursday, July 10, 2014

बनी थी 6 कं, लूट परिवार की,

देश के साधन लूटने को बनी थी 6 कं, लूट परिवार की,
सत्ता उसकी जाते ही अब, बंद हो रही हैं चुपके- चुपके।
कोई नया व्यवसाय आरम्भ करना न करना चाहत आपकी,
शीर्ष सत्ता के प्रभाव से लिए लाभ का हिसाब तो देते जाओ।
भले सत्ता शीर्ष पे तेरी सास रही होगी, शक्तियां भी खास होंगी,
वह धन अमानत है इस देश की, या है सौगात तेरे बाप की।।  
देश के साधन लूटने को बनी थी 6 कं, लूट परिवार की,
सत्ता उसकी जाते ही अब, बंद हो रही हैं चुपके- चुपके।
.... हो रही हैं चुपके- चुपके।
Embedded image permalink
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद। 

राजग बजट 2014, ट्वीटर टिप्पणी

  1.                 राजग बजट 2014, ट्वीटर टिप्पणी
  2. राजग बजट 2014 ----संप्रग बजट 2004 से 2013 ? इनकी टिप्पणी (हमारी दृष्टी) से 
  3.  Retweeted by 
  1. with this statement, Sonia has indirectly accepted that this (so called UPA type Budget) is a Good Budget.
  2. All Sonia's projects on Defense Budget (value),War Memorial,Pandit return,Patel statue,Beti BachaoNOTHING NEW
  3. ET seen No Vision, direction, roadmap or accountability in(so called UPA type Budget) and kept mum 4, 10 yrs?
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प। मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

विकासोन्मुख प्रथम केंद्रीय बजट

विकास का अर्थशास्त्र 
विकासोन्मुख प्रथम केंद्रीय बजट 
युगदर्पण समाचार 
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से प्रस्तुत किए गए बजट भाषण में, सौ नए विकसित (स्मार्ट) शहर विकसित करने का उल्लेख है। बजट भाषण के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं:
7060 करोड़़ रुपये की राशि नये शहरों को बसाने के लिए। विकास का अर्थशास्त्र 
1,000 करोड़़ रुपये से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाका शुभारम्भ।
2019 तक स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सभी घरों में शौचालय सुविधा।
दीनदयाल ग्रामीण ज्योति योजना के अंतर्गत बिजली उपलब्ध कराने के लिए 500 करोड़़ रुपये के साथ शुभारम्भ होगा।
100 करोड़़ रुपये के साथ आदिवासियों के लिए वनबंधु कल्याण योजना।
बीमा क्षेत्र में प्रविनि (एफडीआई) 26 से बढ़ाकर 49% किये जाने का प्रस्ताव।
कभनि (ईपीएफ) योजना के अंतर्गत श्रमिकों के लिए न्यूनतम 1000 रुपये की पेंशन।
चार नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोले जाएंगे।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 14 हजार करोड़ की राशी आवंटित होगी।
बैंकों में सरकार द्वारा अपना वर्चस्व बनाये रखने के साथ जनता को शेयर बेचे जाएंगे और उनकी स्वायत्तता बढ़ाई जाएगी।
ई-वीजा का शुभारम्भ नौ हवाई अड्डों पर चरणबद्ध ढंग से होगा। 
अन्य बिंदु … UPDATED 
  • वित्त मंत्रालय
  • गंगा के जीर्णोद्धार के लिए प्रवासी भारतीय गंगा निधि  
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू करने का प्रस्‍ताव  
  • वरिष्‍ठ नागरिकों के कल्‍याण पर विशेष बल  
  • स्‍मार्ट शहरों के लिए 70 अरब 60 करोड़ रूपए का प्रावधान  
  • पांच पर्यटन क्षेत्र बनाने के लिए चालू वित्तवर्ष में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान  
  • 2012 की पिछली अवधि से लागू संशोधनों से उत्पन्न नए मामलों की जांच उच्चस्तरीय समिति करेगी-वित्तमंत्री  
  • एकता की मूर्ति के लिए 200 करोड़ रुपए की राशि आवंटित  
  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के लिए 500 करोड़ रुपए की घोषणा  
  • चुनिंदा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदमों की घोषणा  
  • सरकार व्यय सुधारों के विभिन्न पहलुओं की देखरेख के लिए व्यय प्रबंधन आयोग का गठन करेगी- वित्त मंत्री  
  • 2014-15 के बजट में ऊर्जा क्षेत्र को उचित महत्व  
  • आम बजट की मुख्‍य विशेषताएं  
  • राष्‍ट्रीय औद्योगि‍क गलियारा प्राधिकरण स्‍थापित किया जाएगा  
  • सूक्ष्‍म, मझौले और मध्‍यम उद्यम क्षेत्र के वित्‍त पोषण के लिए समिति का गठन  
  • सरकार ने सबके लिए स्वास्थ्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निशुल्क औषधि सेवा तथा निशुल्क निदान सेवा को प्रमुख वरीयता क्रम में रखा  
  • वित्त मंत्री ने ऊर्जा सुधार के लिए 200 करोड़ रुपए और जल सुधार के लिए 500 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए ताकि दिल्ली को बनाया जा सके विश्व-स्तरीय शहर  
  • सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 3600 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित  
  • अनुसूचित जाति कल्याण योजना के लिए 50,548 करोड़ रुपए का प्रस्ताव  
  • प्रधानमंत्री कृषि संचयी योजना  
  • खाद्य क्षेत्र में सुधार लाने के लिए सरकार वचनबद्ध  
  • हवाई अड्डों पर शुरू किये जाएंगे ई-वीजा  
  • पूर्वोत्‍तर के लिए 24x7 चैनल ‘’अरुण प्रभा’’ शुरू किया जायेगा  
  • हर भारतीय तक इंटरनेट की पहुंच बनाने के लिए शुरू किया जाएगा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम  
  • ग्रामीण गरीबी उन्‍मूलन के लिए राष्‍ट्रीय आजीविका मिशन  
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम चालू वित्‍त वर्ष में 2,47,941 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे  
  • सामुदायिक रेडियो केंद्रों को बढ़ावा देने की नई योजना के लिए 100 करोड़ रूपए का प्रावधान  
  • जैविक कृषि विकास के लिए 100 करोड़ और पूर्वोत्तर में रेल संपर्क विकास लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव  
  • राज्‍य पुलिस बलों के आधुनिकीरण के लिए राशि बढ़ाकर 3000 करोड़ रुपए की गई  
  • वाराणसी में स्‍थापित किया जाएगा हथकरघा व्‍यापार सुविधा केन्‍द्र और शिल्‍प संग्रहालय  
  • अल्‍पसंख्‍यकों के विकास हेतु ‘’कला, संसाधन और वस्‍तुओं में परंपरागत कौशल का उन्‍नयन’’ नामक कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा  
  • प्रत्‍येक किसान के लिए मृदा उर्वरता कार्ड योजना  
  • रक्षा आबंटन बढ़ाकर 2,29,000 करोड़ रूपये किया गय  
  • किसानों की सुविधा के लिए ‘’किसान टीवी’’ चैनल शुरू किया जाएगा  
  • स्वच्छ भारत अभियान  
  • तकनीकी विकास कोष के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित  
  • शेयरों की बिक्री के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी बढ़ाई जाएग  
  • सभी परिवारों को बैंक की सेवाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी  
  • वित्त मंत्री ने 2037 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ “नमामि गंगे” नामक समन्वित गंगा संरक्षण मिशन की शुरूआत  
  • किसान विकास पत्र (केवीपी) फिर शुरु किए जाएंगे  
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र सुदृढ़ किये जाएंगे  
  • प्रौद्योगिकी केन्द्रित दूसरी हरित क्रांति में ‘’प्रोटीन क्रांति’’ पर जोर  
  • युद्ध स्मारकों तथा राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के लिए अधिक कोष का प्रावधान  
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह में संचार सुविधाओं के लिए 150 करोड़ रुपए  
  • जम्‍मू कश्‍मीर में विश्‍वस्‍तरीय खेल स्‍टेडियम विकसित करने के लिए चालू वित्‍त वर्ष में 200 करोड़ रूपए  
  • व्‍यक्तिगत आयकर छूट सीमा में 50,000 रूपए वृद्धि हुई अधिभार दर में कोई परिवर्तन नहीं  
  • गैर योजना व्‍यय 12,19,892 करोड़ रुपए का अनुमान  
  • वर्ष 2014-15 के लिए 4.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्‍य  
  • विविध प्रकार के कौशल कार्यक्रम के लिए ‘’स्किल इंडिया’’ की घोषणा  
  • 3पी नामक पीपीपी योजना को मुख्यधारा में लाने के लिए एक संस्था गठित की जाएगी  
  • झारखंड और असम में 2 कृषि अनुसंघानों की स्थापना का प्रस्ताव तथा कृषि तकनीकी संरचना निधि के लिए 100 करोड़ रूपये का प्रावधान  
  • जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय अनुकूलन निधि की स्थापना होगी  
  • रीयल एस्‍टेट इन्‍वेस्‍टमेन्‍ट ट्रस्‍ट और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर इन्‍वेस्‍टमेन्‍ट इस्‍ट को प्रोत्‍साहन  
  • वर्ष 2022 तक सबके लिए आवास  
  • श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण शहरी (रूरबन) मिशन 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

राहत का बजट -अच्छे दिनों का शुभारम्भ

राहत का बजट -अच्छे दिनों का शुभारम्भ 
सीमित आय असीमित कष्ट से ऐतिहासिक राहत 
युगदर्पण समाचार 
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट प्रस्तावों में 2.5 लाख तक की वार्षिक आय को करमुक्त करने का प्रस्ताव किया है। वरिष्ठ नागरिकों की 3 लाख रुपये तक की आय करमुक्त होगी। जेटली ने अपने बजट प्रस्तावों से करदाताओं को पाँच हजार रुपए से अधिक की राहत दी है। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं में अब 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर कर में छूट मिलेगी। अभी यह सीमा 1 लाख रुपये है। 
सीमित आय वर्ग के कर्मियों पर भी लगाये जाने वाले कर बोझ के असीमित कष्ट से दबे इस वर्ग की, वर्षों से लम्बित इस मांग को संप्रग सरकार ने अन्त तक पूरा नहीं किया था, मोदी की सरकार ने अपने प्रथम बजट में ही, आशा से भी 50 हजार अधिक ऐतिहासिक राहत दे कर, अच्छे दिनों का शुभ संकेत दे दिया है। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Wednesday, July 9, 2014

नए आर्थिक सुधार

वर्ष 2013-14 के मध्य थोक मूल्‍य सूचकांक घटकर 5.98% होने के संकेत खाद्य स्‍फीति ऊंची रही थोक एवं खुदरा मूल्‍य स्‍थिति में कमी के आसार +नकारात्मक बाजार दिशा को रोकने के लिए अनावश्यक आयातों पर प्रतिबंध विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 16 राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) 

केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज लोकसभा में प्रस्तुत किए गए आर्थिक सर्वेक्षण-2013-14 में बताया गया है कि वर्ष की पहली तिमाही में देश के भारी व्यापार घाटे, नकारात्मक बाजार अनुमानों से विदेशी संस्थागत विनिवेशकों के निवेश ऋण खंड में तेजी से वाह्य प्रवाह होने के कारण, मई, 2013 और अगस्त, 2013 के मध्य रुपए का 13% अवमूल्यन हुआ है। सरकार ने सोने जैसे अनावश्यक निर्यातों पर प्रतिबंध और सोना और चांदी पर 10% जैसा उच्च सीमा शुल्क लगाकर और अर्द्ध-संप्रभुता बॉण्‍ड द्वारा तथा विदेशी व्‍यापारिक ऋणों को उदार बनाकर, पूंजी प्रवाह बढ़ाने जैसे कदमों के द्वारा, स्थिति को ठीक करने के प्रयास किये है। भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी जमा (बैंकों) (एफसीएनआर(बी))और बैंकों के विदेशी ऋणों के लिए विशेष श्रेणी खिड़की स्‍थापित की थी, जिसके द्वारा 34 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि जुटाई गई थी। एक पक्षीय प्रवाह से रूपए की नकारात्‍मक बाजार दिशा को रोकने के साथ-साथ बीओपी स्थिति में सुधार आया है, जिससे विनिमय दर और आरक्षित निधि में स्थिति सुधरी है। 
विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पहले ही 16 राष्ट्रीय निवेश और निर्माण क्षेत्र (ज़ोन) बनाने की घोषणा की है। राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) का उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की 25% की भागीदारी को बढ़ाना और एक दशक में 100 मिलियन नौकरियों का सृजन करना है। एनएमपी से विशेष रुप से राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) के सृजन के द्वारा समूहों और एकत्रीकरण को बढ़ावा दिया जाता है। 2013-14 तक 16 एनआईएमजेड स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें से आठ दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) पर लगाए गए हैं। इनके अतिरिक्त आठ अन्य एनआईएमजेड के लिए सैद्धांतिक रुप से अनुमति दे दी गई है, यह है – (1) महाराष्ट्र में नागपुर (2) आंध्र प्रदेश में चित्तूर (3) आंध्र प्रदेश में मेडक (अब तेलंगाना में) (4) आंध्र प्रदेश में प्रकाशम (5) कर्नाटक में तुमकुर (6) कर्नाटक में कोलार (7) कर्नाटक में बिदर और (8) कर्नाटक में गुलबर्गा। 

भारत और जापान के बीच दिसंबर, 2006 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) का अनुपालन करते हुए डीएमआईसी परियोजना आरम्भ की गई। यह परियोजना उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के साथ ही रेलवे के 'पश्चिम समर्पित सामान गलियारे' वेस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर तक फैली है। 2008 में शुरू की गई डीएमआईसी विकास निगम (डीएमआईसीडीसी), परियोजना के लिए क्रियान्वयन संस्था है। उत्तर प्रदेश में दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र को छोड़कर सभी स्थान के लिए महायोजना तैयार हो चुकी है और राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत भी कर ली गई है। विभिन्न राज्यों में नये औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भूमि अधिग्रहण और विकास के लिए पहली परियोजनाओं की पहचान कर ली गई है तथा विभिन्न स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। डीएमआईसी ट्रस्ट ने नौ परियोजनाओं पर विनिवेश का निर्णय किया है और इन पर कार्रवाई डीएमआईसीडीसी ने पहले ही आरम्भ कर दी है। 
चेन्नई-बैंगलुरू-चित्रदुर्गा औद्योगिक गलियारा (कॉरीडोर) (प्राय: 560 किलोमीटर) से कर्नाटक, आंघ्र प्रदेश और तमिलनाडु को लाभ मिलेगा। जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संस्था (जेआईसीए) के अध्ययन दल ने चेन्नई-बैंगलुरू औद्योगिक कॉरीडोर (सीबीआईसी) के समेकित महायोजना के लिए प्राथमिक अध्ययन किया है। 
आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में कहा गया है कि गत 2 वर्षों के मध्य औसत थोक मूल्‍य सूचकांक के वर्ष 2013-14 के मध्य तीन वर्ष में घटकर 5.98% होने के संकेत हैं। यद्य‍पि‍ उपभोक्‍ता मूल्‍य स्‍फीति थोक मूल्‍य सूचकांक से अधिक है, किंतु इसने वर्ष 2013-14 में 10.21% से घटकर वित्तीय वर्ष 2013-14 में 9.49 होने के संकेत दिए है। तथापि, खाद्य स्‍फीति तीसरी तिमाही में वित्तीय वर्ष 2013-14 के मध्य ऊंची रही है। 
उच्‍च स्‍फीति, विशेषकर खाद्य स्‍फीति के पीछे संरचनागत के साथ-साथ मौसम के घटक प्रभावी रहे हैं। वस्‍तु उप-उत्‍पाद, ‘फल एवं सब्जियों’ के साथ-साथ ‘अण्‍डा, मांस एवं मछली के मूल्‍यों’ के खाद्य स्‍फीति को अधिक  बढ़ा दिया। 
गैर-खाद्य निर्माण उत्‍पादों में स्‍फीति वर्ष भर स्थिर रही, जो 2013-14 में चार वर्षों में 2.9% न्‍यून होकर औसत स्‍फीति पर रही, जो इस बात का घोतक है कि व्‍यापक आधार पर स्‍फीति के दवाबों में कमी आई है। 
अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने अधिकांश वैश्विक थोक मूल्‍यों के वर्ष 2014-15 के मध्य स्थिर रहने की संभावना जताई है, जो भारत सहित विकासशील देशों में आसन्‍न बाजार में स्‍फीति में राहत दे पाएगा। वर्ष 2014 के अन्‍त तक थोक मूल्‍य सूचकांक में सुधार की आशा है। 
भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार की स्थिरता के लौटने तथा जुलाई में अल्‍पकालिक ऋण ब्‍याज में वृद्धि एवं घरेलू मुद्रा बाजार की स्थिति में सुधार की बात कही है। विदेशी मुद्रा में सुधार के उपरान्‍त 20 सितम्‍बर 2013 की मध्‍य-तिमाही समीक्षा से, अपवाद स्‍वरूप उपायों को, सामान्‍य मुद्रा नीति संचालन के अनुरूप लाने के उपाय किए गए है। 
भारतीय रिजर्व बैंक में 28 जनवरी 2014 की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में, मुद्रा स्‍फीति के बड़े दुस्साहस के फलस्‍वरूप रेपो दर में 25 बी पी एस वृद्धि करके इसे 8% कर दिया है। 
नकदी की अत्‍यधिक खराब स्थिति को संभालने के दृष्टिगत भा.रि.बैं ने ओ एम ओ क्रय नीलामी, रातोंरात रेपो, एम एस एफ तथा विभिन्‍न दर तिमाही रेपो के माध्यम सुधार के उपाय किए हैं। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Tuesday, July 8, 2014

मूल्‍य वृद्धि और रेल बजट भाषण का सार

रेल मंत्री डी. वी. सदानन्‍द गौड़ा के भाषण का सार 
+ आवश्‍यक वस्‍तुओं की मूल्‍य वृद्धि रोकने के उपाए +राष्‍ट्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मि‍शन के अधीन 2014-15 में 180 करोड़ रुपये आवंटित
आवश्‍यक वस्‍तुओं की मूल्‍य वृद्धि रोकने के लिए सरकार ने हाल में निम्‍नलि‍खित उपाय किए हैं: 
• गेहूं, प्‍याज, दालों के लिए आयात शुल्‍क घटाकर शून्‍य किया गया। 
• खाद्य तेल (नारियल का तेल, वनोपज आधारित तेल 1500 डॉलर प्रति टन के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य वाले 5 किलो के मिश्रित उपभोक्‍ता पैक को छोड़कर) तथा दालों (काबूली चना, ऑर्गेनिक दालों एवं लेंटिल- 10 हजार टन प्रतिवर्ष अधिकतम को छोड़कर) के निर्यात पर प्रतिबंध। 
• दालों, खाद्य तेलों तथा खाद्य तिलहन जैसी च‍यनित आवश्‍यक वस्तुओं के मामले में समय-समय पर 30-9-2014 तक की अवधि के लिए भंडार रखने की सीमाएं लागू की हैं। • चावल, उड़द और अरहर में भावी कारोबार को निलंबित रखना। 
• तिलहन और खाद्य तेलों के उत्‍पादन बढ़ाने के लिए 12वीं पंचवषर्यी योजना के मध्य तेल के बीजऔर ताड के तेल राष्‍ट्रीय मिश्‍न लागू किया जा रहा है। इससे तिलहनों के उत्‍पादन और उसकी खपत के बीच की खाई को पाटने में सहायता मिलेगी। 
यह सूचना उपभोक्‍ता मामले खाद एवं जनवितरण राज्‍य मंत्री राव साहब पाटिल दानवे ने लोकसभा में एक लिखित उत्‍तर में दी। 
वर्ष 2014-15 के मध्य खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों के उन्‍नयन/ संस्‍थापन / आधुनिकीकरण सहित राष्‍ट्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मिशन के लिए विभिन्न राज्‍यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को 180 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। सर्वाधिक आवंटन प्राप्‍त करने वाले पांच राज्‍यों में उत्‍तर प्रदेश (16.43 करोड़ रुपये), महाराष्‍ट्र (13.36 करोड़ रुपये), राजस्‍थान (11.84 करोड़ रुपये), मध्‍य प्रदेश (11.40 करोड़ रुपये) और आंध्र प्रदेश (11.38 करोड़ रुपये) शामिल हैं। प्रत्‍येक राज्‍य/ केंद्रशासित प्रदेश में यह धन खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों के उन्‍नयन/संस्‍थापन /आधुनिकीकरण की प्रौद्योगिकी योजना सहित राष्‍ट्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मिशन के लिए है, जिसके अधीन इच्‍छुक उद्यमियों द्वारा देश में खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयां स्‍थापित की जा सकती हैं। 
उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण 2011-12 के अनुसार देश में 36,881 पंजीकृत खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयां थीं। कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग राज्‍यमंत्री डॉ. संजीव कुमार बालयान ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में यह जानकारी दी। 
रेल मंत्री डी.वीसदानंद गौड़ा ने आज संसद में वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत किया। रेल मंत्री के भाषण का सार इस प्रकार है :- 
‘’अध्‍यक्ष महोदया,
            मैं सम्‍मानित सदन के समझ वर्ष 2014-15 के लिए रेलवे की अनुमानित आय और व्‍यय का विवरण प्रस्‍तुत कर रहा हूं। मुझे गणतंत्र के इस मंदिर में खड़े होने का अवसर प्राप्‍त हुआ है और मैं देश की जनता का आभारी हूं जिन्‍होंने अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें यहां चुनकर भेजा है।
      मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का आभारी हूं जिन्‍होंने मुझ में विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है और भारतीय रेलवे का नेतृत्‍व करने का बड़ा दायित्व मुझे सौंपा है। मैं इस दायित्व  को पूरा करने का वादा करता हूं और न केवल भारतीय रेल का नेतृत्‍व में एक प्रगतिशील भारत के निर्माण का हर संभव प्रयास करने का भी  वचन देता हूं। मुझे अपना प्रथम रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए अत्‍यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। भारतीय रेलदेश का अग्रणी वाहक होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की नींव और आत्‍मा भी है। उत्‍तर में बारामूला से लेकर दक्षिण में कन्‍याकुमारी तक और पश्चिम में ओखा से लेकर पूर्व में लेखापानी तक देश के प्रत्‍येक नागरिक के दिलों में इसकी गूंज सुनाई देती है। अध्‍यक्ष महोदयाहम सभी जानते हैं कि भारतीय रेल सभी क्षेत्रोंवर्गों और सम्प्रदायों से परे है और इसमें एक लघु भारत यात्रा करता है। बेंगलूरू की गलियों के एक जनसामान्य से लेकर कोलकाता में मछली विक्रेताओं तथा चहल-पहल भरे निजामुद्दीन स्‍टेशन तकहर स्थान आपको इस देश का नागरिक भारतीय रेलवे से यात्रा करने के लिए उत्सुक मिलेगा।
माननीय अध्‍यक्ष महोदयायद्यपि मुझे पदभार ग्रहण किए हुए कठिनता से एक माह  हुआ हैमेरे पास माननीय संसद सदस्‍योंसरकार में मेरे सहयोगियोंराज्‍योंस्‍टेक होल्‍डरों, संगठनों और देश के विभिन्‍न कोनों से नई गाडि़योंनई रेल लाइनों और श्रेष्ठ सुविधाओं के लिए अनुरोधों और सुझावों की बाढ़-सी आ गई है। मैं जानता हूं कि हर कोई यह अनुभव करता है कि उनके पास उन सभी चुनौतियों का समाधान है, जिनका सामना भारतीय रेलवे कर रही हैइस विशाल संगठन की भारी जटिलताओं और समस्‍याओं से परिचित होने से पूर्व मेरी भी ऐसी धारणा थी। अब मैं रेल मंत्री के रूप में इन अपेक्षाओं को पूरा करने में अपने बड़े दायित्वों से अभिभूत हूं।
अध्‍यक्ष महोदयामुझे कौटिल्‍य के निम्‍नलिखित शब्‍दों का स्‍मरण होता है:
प्रजासुखे सुखं राज्ञप्रजानां च हिते हितम्।
नात्‍मप्रियं हितं राज्ञप्रजानां तु प्रियं हितम्।
जनता की प्रसन्नता में शासक की प्रसन्नता निहित होती है
उनका कल्‍याण उसका कल्‍याण होता है
जिस बात से शासक को प्रसन्नता होती है वह उसे ठीक नहीं समझेगा,
परन्‍तु जिस किसी बात से जनता प्रसन्नता होती है,
शासक उसे ठीक समझेगा।
-     कौटिल्‍य का अर्थशास्‍त्र
भारतीय रेल इस उपमहाद्वीप के 7172 से अधिक स्‍टेशनों को जोड़ते हुए प्रतिदिन 12617 गाडि़यों में 23 मिलियन से अधिक यात्रियों को ढोती है। यह प्रतिदिन ऑस्‍ट्रेलिया की संपूर्ण जनसंख्‍या को ढोने के बराबर है। हम 7421 से अधिक मालगाडियों में प्रतिदिन लगभग मिलियन टन माल ढोते हैं। अध्‍यक्ष महोदयाएक बिलियन टन माल यातायात से अधिक लदान कर चीनरूस और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की रेलों के (सेलेक्‍ट क्‍लब) चुने समूह में भारतीय रेल ने प्रवेश करने की उपलब्‍धि अर्जित की हैअब मेरा लक्ष्‍य विश्‍व में सबसे अग्रणी वाहक के रूप में उभरने का है।
   अध्‍यक्ष महोदयाजैसा आप जानती हैंभारतीय रेलयात्रियों को ढोने के अतिरिक्‍त कोयला भी ढोती है।  
यह स्‍टील की ढुलाई करती है
यह सीमेंट की ढुलाई करती है
यह नमक की ढुलाई करती है
यह खाद्यान्‍नों और चारे की ढुलाई करती है
और यह दूध की भी ढुलाई करती है
इस प्रकारभारतीय रेल व्‍यावहारिक रूप से सभी की ढुलाई करती है और यह किसी भी वस्‍तु को ना नहीं करती है, यदि उसे मालडिब्‍बे में ढोया जा सकता हो। सबसे महत्‍वपूर्ण है कि हम रक्षा संगठन की आपू‍र्ति श्रृंखला की रीढ़ बनकर, राष्‍ट्र की सुरक्षा में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अध्‍यक्ष महोदया, जबकि हम प्रतिदिन 23 मिलियन यात्रियों को ढोते हैं, किन्तु अभी भी अधिक जनता ऐसी है, जिन्‍होंने अभी तक रेलगाड़ी में पैर तक नहीं रखा है। हम औद्योगिक समूहों को पत्‍तनों और खदानों से जोड़ते हुए, प्रतिवर्ष एक बिलियन टन से अधिक माल यातायात का लदान करते हैं, किन्तु अभी भी कई आतंरिक भाग, रेल संपर्क की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यद्यपि विगत वर्षों में माल यातायात व्‍यापार निरंतर बढ़ रहा हैभारतीय रेल देश में सभी साधनों से ढोए जाने वाले कुल माल यातयात का 31% को ही ढोती है। ये ऐसी चुनौतियां है, जिनका हमें सामना करना है।
विविध प्रकार के दायित्व निभाने वाले, इस प्रकार के विशाल संगठन से, एक वाणिज्‍यिक उद्यम के रूप में आय अर्जित करने के साथ, एक कल्‍याणकारी संगठन के रूप में भी कार्य करने की आशा की जाती है। ये दो कार्यरेलपथ की दो पटरियों के समान हैंजो हालांकि साथ-साथ चलती हैं किन्तु कभी मिलती नहीं हैं। अभी तक भारतीय रेल इन दो विरोधात्‍मक उद्देश्‍यों में संतुलन बनाते हुए इस कठिन कार्य को निभाती रही है।
2000-01 में सामाजिक सेवा-दायित्‍वसकल यातायात प्राप्‍ति‍यों के 9.4% से बढ़कर 2010-11 में 16.6% हो गया। 2012-13 में इस प्रकार का दायित्‍व 20,000 करोड़ रु.से भी अधिक हो गया। इस वर्ष का कुल निवेश अर्थात बजटीय स्रोतों के अंतर्गत योजना परिव्‍यय 35,241 करोड़ रु.था। इस प्रकार समाजिक दायित्‍व के बोझ की राशि, बजटीय स्रोतों के अंतर्गत हमारे योजना परिव्‍यय के आधे से भी अधिक है।
अध्‍यक्ष महोदयासामाजिक दायित्‍वों पर बजटीय स्रोतों के अंतर्गत अपने योजना परिव्‍यय के आधी से अधिक राशि व्यय करने वाला कोई भी संगठन, अपने विकास कार्यों के लिए कठिनता से ही पर्याप्‍त संसाधन जुटा सकता है।
तथापिअध्‍यक्ष महोदयाभारतीय रेल अपने सामाजिक दायित्‍वों को पूरा करती रहेगी किन्तु कार्यकुशलता तथा गाड़ी परिचालन की संरक्षा के साथ समझौता किए बिना, एक सीमा के बाद इन दो परस्‍पर विरोधी उद्देश्‍यों में संतुलन बनाए रखना संभव नहीं है।
हमारे पास 1.16 लाख किमीलंबाई का कुल रेलपथ, 63,870 यात्री डिब्‍बे, 2.4 लाख से अधिक माल डिब्‍बे और 13.1लाख कर्मचारी हैं। इसके लिए ईंधन वेतन और पेंशन, रेलपथ एवं यात्री डिब्‍बा अनुरक्षण और इससे भी अधिक महत्‍वपूर्ण संरक्षा संबंधी कार्य पर खर्च की आवश्‍यकता होती है। इन कार्यों पर सकल यातायात आय से होने वाली हमारी अधिकांश आय खर्च हो जाती है। वर्ष 2013-14 में सकल यातायात आय 1,39,558 करोड़ रूपये और कुल संचालन व 1,30,321 करोड़ थाजिसका परिचालन अनुपात लगभग 94% बनता है।
अध्‍यक्ष महोदयाइससे पता चलता है कि अर्जित किये गये प्रत्‍येक रूपये में से हम 94 पैसा परिचालन पर व्यय कर देते हैं। हमारे पास अधिशेष के रूप छह पैसा ही बचता है। यह राशि कम होने के अतिरिक्त, किरायों में संशोधन न किये जाने के कारण, इसमें निरंतर गिरावट आई है। अनिवार्यत: किए जाने वाले लाभांश और लीज़ प्रभारों के भुगतान के बाद वर्ष 2007-08 में यह अधिशेष 11,754 करोड़ रूपये था और वर्तमान वर्ष में 602 करोड़ रूपये होने का अनुमान है।
अध्‍यक्ष महोदयारेलों द्वारा इस प्रकार जुटाए गये इस बहुत ही कम अधिशेष द्वारा संरक्षणक्षमता बढ़ानेअवसंरक्षण, या‍त्री सेवाओं और सुख-सुविधाओं को श्रेष्ठ बनाने के लिए कार्यों को वित्‍तपोषित किया जाता है।
मात्र चालू परियोजनाओं के लिए 5 लाख करोड़ रूपये अर्थात प्रतिवर्ष लगभग 50,000 करोड़ रूपये अपेक्षित हैं। इससे अपेक्षित राशित अधिशेष के रूप में उपलब्‍ध राशि के बीच भारी अंतर आ जाता है।
यद्पि इस अंतर को काटने के लिए विवेकपूर्ण प्रयास किये जाने चाहिए थेपरन्‍तु जो भाड़ा नीति अपनाई गई, उसमें युक्तिसंगत दृटिकोण की कमी रही। यात्री किरायों को लागत से कम रखा गया और इस प्रकार पैसेंजर गाड़ी के परिचालन में हानि हुई। यह हानि बढ़ती रही जो 2000-01 ने प्रति पैसेंजर किलोमीटर 10 पैसे बढ़कर 2012-13 में 23 पैसे हो गई, क्‍योंकि यात्री किरायों को सदैव कम रखा गया।
दूसरी ओर मालभाड़ा दरों को समय-समय पर बढ़ाया और उन्‍हें अधिक रखा गया जिससे यात्री क्षेत्र में होने वाली हानि की प्रतिपूर्ति की जा सके। परिणामस्‍वरूप माल यातायात निरंतर रेलवे से छूटता गया। विगत 30 वर्षों में कुल माल यातायात में रेलवे का अंश निरंतर कम हुआ है। अध्‍यक्ष महोदया, यह उल्‍लेखनीय है कि कुल माल यातायात में रेलवे का अंश कम होनाराजस्‍व को हानि होने जैसा है।
अध्‍यक्ष महोदयायह बताने के बाद कि किस प्रकार राजस्‍व को गंवाया गया, अब मैं यह बताना चाहता हूं कि किस प्रकार निवेश में दिशाहीनता है।
परियोजनाओं को पूरा करने पर बल दिए जाने के बजाय, उन्‍हें स्‍वीकृत कर देने पर ध्‍यान दिया गया। गत 30 वर्षों के मध्य 1,57,883 करोड़ रूपए मूल्‍य की कुल 676 परियोजनाएं स्‍वीकृत की गईं, इनमें से केवल 317 परियोजनाओं को ही पूरा किया जा सका और शेष 359 परियोजनाओं को पूरा किया जाना शेष हैजिन्‍हें पूरा करने के लिए अब 1,82,000 करोड़ रूपए अपेक्षित होंगे।
गत 10 वर्षों में 60,000 करोड़ रूपय मूल्य की 99 नई लाइन परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया, जिसमें से आज की दिनांक तक मात्र एक परियोजना को ही पूरा किया गया है। वास्‍तव में इसमें 4 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो 30 वर्ष तक पुरानी हैं, परन्‍तु वे किसी न किसी कारण से अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। जितनी अधिक परियोजनाओं को हम इसमें जोड़ देंगे हम उनके लिए उतना ही कम संसाधन उपलब्ध करा पाएंगे और उनहें पूरा करने में उतना समय भी लगेगा।
यदि यही प्रवति जारी रखी गयी तो मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि और अधिक हजारों करोड़ रूपए खर्च हो जाएंगे और इससे कठिनता से ही कोई प्रतिफल प्राप्‍त होगा।
अध्‍यक्ष महोदयाभारतीय रेलों की कभी न समाप्‍त होने वाली परियोजनाओं के बारे में बताने के बाद, अब मैं परियोजनाओं का चयन करने में किस प्रकार प्राथमिकता दी जाती हैउसका उल्‍लेख करता हूं। अति संतृप्‍त नेटवर्क में भीड़भाड़ को कम करने के लिए दोहरीकरण और तिहरीकरण के लिए किए जाने वाले निवेश से, रेलों को धन प्राप्‍त होता है। दूसरी ओर नई लाइनों का निर्माण करने से अधिकांशत: परिचालनिक लागत भी पूरी प्राप्‍त नहीं होती हैक्‍योंकि उसके अनुरूप मांग नहीं होती है।
गत 10 वर्षों में भारतीय रेल ने 3738 किलोमीटर नई लाइनों को बिछाने के लिए 41,000 करोड़ रूपए का निवेश किया है। दूसरी ओर इसने 5050 किलोमीटर के दोहरीकरण के लिए मात्र 18,400 करोड़ रूपए ही खर्च किए। यद्पि प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए यह प्राथमिकता वाला कार्य था।
संयोग सेमैं भारतीय रेल के बारे में किसी व्‍यक्ति द्वारा कही गई निम्‍नलिखित बात, को यहां उद्धृत करना चाहूंगा। मैं इसे तब तक नहीं समझ पाया, जब तक मुझे इन तथ्‍यों की जानकारी नहीं थीजिनका मैंने अभी तक उल्लेख किया है।  यह कथन इस प्रकार है:
‘’आपने ऐसे किसी व्‍यापार के बारे में नहीं सुना होगाजिसका एकाधिकार हो,
जिसका ग्राहक आधार लगभग 125 करोड़ हो,
जिसकी 100% बिक्री अग्रिम भुगतान पर होती हो,
और उसके बाद भी उसके पास धन का अभाव हो।‘’
अध्‍यक्ष महोदयाअब तक भारतीय रेल की यही कहानी रही है।
अध्‍यक्ष महोदयारेलवे द्वारा सामाजिक दायित्‍व का निर्वहन करना कोई मुद्दा नहीं है। परन्‍तु सामाजिक आवश्यकता के नाम पर लोक-लुभावन परियोजनाओं का चयन किया गयाजिनसे रेलवे को कठिनता से कोई राजस्‍व प्राप्‍त हुआ हो। सामाजिक दायित्‍व के नाम पर अलाभप्रद परियोजनाओं पर निवेश किया जाना जारी रहा। समग्रत: देखा जाए, तो कई वर्षों तक न तो इन परियोजनाओं से रेलवे को कोई प्रतिफल प्राप्‍त हुआ और न ही पूरी तरह से सामाजिक दायित्‍व ही पूरा हुआ।
इस त्रुटिपूर्ण प्रबंधन और उदासीनता से बहुत वर्षों से रेलवे धन के भारी आभाव का सामना कर रही है, ‘जो स्‍वर्णिम दुविधा के दशक’- वाणिज्यिक व्‍यवहार्यता और सामाजिक व्‍यवहार्यता के बीच चयन की दुविधा का परिणाम है।
अध्‍यक्ष महोदयामुझे पता है कि मेरे पूर्ववर्ती सम्‍मानित मंत्री भी इस अनिश्चितता की स्थिति से परिचित थे, परन्‍तु उनके द्वारा इन परियोजनाओं की घोषणा करते समय, सदन में बजने वाली तालियां सुनने से प्राप्‍त होने वाले नशे’ का, वे परित्‍याग न कर सके।
अध्‍यक्ष महोदयाकुछ नई परियोजनाओं की घोषणा करके, मैं भी इस सम्‍मानित सदन से तालियां पा सकता हूं, परन्‍तु यह कठिन स्थिति से गुजर रहे, इस संगठन के प्रति अन्‍याय करना होगा। मेरी इच्‍छा है कि रेल को स्थिति में सुधार लाकर, मैं वर्ष भर तालियां पाता रहूं।
भारतीय रेल की इस शोचनीय स्थिति को तत्‍काल ठीक किए जाने की आवश्‍यकता है। कुछ सुधारात्‍मक उपायोंजिनकी मैंने योजना बनाई हैमें एक उपाय किरायों में संशोधन का रहा। यह एक कठिन परन्‍तु आवश्यक निर्णय था। अध्‍यक्ष महोदयाजैसाकि कहा गया है कि
यत्‍तदग्रे विषमिव परिणामे अमृतोपमम्।
‘’दवा खाने में तो कड़वी लगती है
किन्तु उसका परिणाम मधुर होता है’’
इस किराया संशोधन से भारतीय रेल को लगभग 8000 करोड़ रूपए का अतिरिक्‍त राजस्‍व प्राप्‍त होगा। यद्यपि, स्‍वर्णिम चतुर्भुज नेटवर्क को पूरा करने के लिए, हमें 9 लाख करोड़ रूपए से  अधिक की और केवल एक बुलेट गाड़ी चलाने के लिए, लगभग 60,000 करोड़ रूपए की आवश्‍यकता है।
  • वर्ष 2014-15 में उन्‍नत संचालन अनुपात के माध्‍यम से रेलवे 1.64 लाख करोड़ रूपए अर्जित करेगा  
  • रेल बजट में सुधार की दिशा में उठाए गए अनेक कदम, लोक-लुभावन उपायों से बनाई दूरी  
  • लागत बढ़ने के बाद भी रेलवे सामाजिक सेवा दायित्‍व पूरे करने के लिए प्रतिबद्ध  
  • रेलवे आरक्षण प्रणाली में सुधार  
  • 18 नई लाइनों और दोहरीकरण, तीसरी लाइन, चौथी लाइन और आमान परिवर्तन परियोजनाओं के लिए 10 सर्वेक्षण  
  • पांच जनसाधारण, पांच प्रीमियम, छह वातानुकूलित एक्‍सप्रेस, 27 एक्‍सप्रेस, 8 पैसेंजर नई गाडि़यां और 2 मेमू तथा पांच डेमू सेवाएं  
  • रेल बजट में सामरिक प्रबंधन की आवश्‍यकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया  
  • खानपान सेवाओं में गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार पर बल  
  • रेल मंत्री डी. वी. सदानन्‍द गौड़ा के भाषण का सार  
  • कर्मचारियों के विचारों और अनुभव से लाभ उठाने के लिए अभिनव ऊष्मायन केन्द्र स्थापित किया जाएगा  
  • रेलगाड़ियों और स्टेशनों पर साफ-सफाई के लिए बजट में महत्वपूर्ण वृद्धि  
  • रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रू. की व्यवस्था  
  • यात्री सुविधाओं एवं स्टेशन प्रबंधन के लिए विशेष उपाय  
  • कागज़ रहित कार्यालय, मोबाइल आधारित नई सेवाएं और अगली पीढ़ी की टिकट आरक्षण प्रणाली, रेलवे की सूचना संबंधी पहल में शामिल  
  • बजट के समक्ष भारी धन की आवश्यकता और अधूरी परियोजनाओं की चुनौती  
  • वित्तीय निष्पादन 2013-14  
  • परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी से निपटने के लिए परियोजना प्रबंधन समूह का गठन किया जाएगा  
  • भारतीय रेल की भूमि परिसंपत्तियों का अंकरूपण (डिजिटाइजेशन)  
  • कर्मचारी हित निधि में अंशदान बढ़ाया जाएगा  
  • यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए उपाय  
  • रेलवे के लिए अधिक संसाधन जुटाने के प्रयास  
  • उपनगरीय यातायात को बढ़ावा, मुंबई के लिए दो वर्ष में 864 अतिरिक्‍त अत्‍याधुनिक ईएमयू गाडि़या  
  • घरेलू पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने के लिए रेल पर्यटन को प्रोत्‍साहन  
  • पूर्वोत्‍तर में रेल विस्‍तार के लिए 54% अधिक धनराशि का आबंटन  
  • रेलवे बोर्ड स्‍तर पर परियोजना प्रबंधन समूह की स्‍थापना  
  • कृषि उत्‍पादों के संचलन के लिए 10 स्‍थानों पर तापमान नियंत्रित भंडारण की सुविधा  
  • ऊर्जा संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा और बायो डीजल का उपयोग  
अध्‍यक्ष महोदयाक्‍या यह उचित होगा कि इन निधियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए किरायों और माल-भाड़ा की दरों में वृद्धि की जाए और उसका बोझ जनता पर डाला जाए। चूंकि यह अवास्‍तविक हैइसलिए इन निधियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए मुझे वैकल्पिक उपायों पर सोचना होगा।‘’
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।