किरायों में परिवर्तन नहीं, सुखद हो यात्रा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और संयुक्त उद्यमों पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और संयुक्त उद्यमों पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना
डीजल की दरों में गिरावट और माल भाड़ा आय में वृद्धि से, मोदी सरकार को मिला, निवेश बढ़ाने के लिए एक स्वर्णिम अवसर।राज्य मंत्री रेलवे ने मनोज सिन्हा पहले ही, डीजल दरों में कटौती के आधार पर भाड़े में कटौती की संभावना को नकार दिया था। किन्तु प्रभु इससे वित्त में भारी अंतर को पाटने के प्रयास के रूप में, तथा बजट द्वारा मिले उच्चतर समर्थन एवं निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों के साथ संयुक्त उपक्रम पर भी निर्भर हो कर रेलवे को वापस पटरी पर डालने की आशा संजोये है। सूत्रों का कहना है कि सरकार सार्वजनिक निजी भागीदारी आधार पर पैसे जुटाने के लिए उत्सुक है। गैर सरकारी संगठनों और कॉर्पोरेट क्षेत्रों से और अधिक राजस्व उत्पन्न करने के लिए, रेल के डिब्बों पर विज्ञापन कर सकते हैं।
2013 रेल बजट से पहले, किराए में एक दशक के लिए वृद्धि नहीं की गई थी, किन्तु फिर भी, पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने दूसरा और शयन श्रेणियों में, बढ़ोतरी की जिसे वापस करने के लिए बाध्य किया गया था। जबकि, गत वर्ष मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत पहले रेल बजट में, किरायों में 6.5 % से 14.2 % और माल ढुलाई से बढ़ गए थे।
"प्रभु की भव्य योजनाओं में 24,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू रहे राष्ट्रीय यातायात में, माल ढुलाई की भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम में, यात्री सेवा के लिए क्रॉस-सब्सिडी कम करने हेतु माल भाड़ा आय से, संभावना की खोज करने की है। यह थी लोक लुभावन से लोककल्याण तक रेल बजट की यात्रा मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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VeeGee Narendra 

@ParashuRam
Tilak Relan