Thursday, July 3, 2014

महिला आयोग एवं लघु उद्योग संघ भी

राष्‍ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 में संशोधन का प्रस्‍ताव +केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने एमएसएमई संघों के साथ विचार-विमर्श किया 
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 में संशोधन कर राष्‍ट्रीय महिला आयोग को अतिरिक्‍त शक्तियां देने का प्रस्‍ताव रखा है। प्रस्‍तावित संशोधन मंत्रालय की वेबसाइट (wcd.nic.in) पर डाल दिये गए हैं और सिविल सोसायटी संगठनों, रूचि रखने वाले अन्‍य समूहों और व्‍यक्तियों से 15.07.2014 तक टिप्‍पणियां/सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। 
सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने, हरि शंकर सिंघानिया ने आज नई दिल्‍ली में देशभर के एमएसएमई संघों के साथ बातचीत की। नई सरकार के गठन के बाद यह पहला अवसर था जब मंत्री की अखिल भारतीय स्‍तर पर एमएसएमई संघों के साथ सामान्‍य, आंचलिक तथा क्षेत्रीय महत्‍व के मुद्दों पर चर्चा हो। उन्‍होंने उद्योग के लिए सरकारी सहयोग पैकेज की संकल्‍पना, विकास तथा कार्यान्‍वयन में सक्रिय भूमिका निर्वहन करने की लिए उद्योगसंघों और व्‍यवसाय व विनिर्माता संगठनों की प्रशंसा की तथा इस क्षेत्र को प्रस्तुत आ रही विभिन्‍न समस्‍याओं के नए समाधान सुझाने तथा नीति निर्माण और कार्यान्‍वयन के लिए रचनात्‍मक सुझाव देने का अनुरोध किया। 
कलराज मिश्र ने बताया कि एमएसएमई अधिनियम 2006 के रूप में एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशिष्‍ट कानून बनाने वाला भारत पहला देश है। उन्‍होंने उद्योग संघों को आश्‍वासन दिया कि शीघ्र ही उनकी चिंताओं को दूर किया जाएगा। आगामी पांच वर्ष में इस क्षेत्र में रोजगार के श्रेष्ठ अवसर होंगे। इस अवसर पर मंत्रालय केवीआईसी, एनएसआईसी और सिडबी सहित देशभर के प्रमुख संघों और अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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Wednesday, July 2, 2014

उपभोक्ता हित सर्वोपरि

राजमार्ग, वायुमार्ग, ऊर्जा और अपशिष्ट जल क्षेत्र 
राष्‍ट्रीय राजमार्ग अन्‍तर-सम्‍पर्कता सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के लिए भारत ने 50 करोड़ अम‍रीकी डॉलर की आईबीआरडी सहायता के लिए विश्‍व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये नागरि‍क उड्डयन मंत्रालय की उच्‍च प्राथमि‍कता में है, यात्रि‍यों से संबंधि‍त पहल +घरेलू एलपीजी/पीडीएस मिट्टी तेल, उपभोक्ताओं पर भार को कम करने के लिए उपाय +कृषि मंत्री ने आईएआरआई के पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल के अनुरूप नागरि‍क उड्डयन मंत्रालय ने यात्रि‍यों से संबंधि‍त कुछ बड़े मसलों की पहचान की है और उसे पूर्ण करने का बीड़ा उठाया है। इसका तात्‍पर्य है कि‍ यात्रि‍यों को श्रेष्ठ सुवि‍धा मि‍लेगी और लोगों के अनुरूप तंत्र बन सकेगा। इन पहल में शामि‍ल है:
1.      सभी भारतीय और वि‍देशी 'एयरलाइनों तथा एयरपोर्ट' परिचालकों से कहा गया है कि‍ वे विशेष कर वरि‍ष्‍ठ नागरि‍कों गर्भवती महि‍लाओं और अशक्‍त यात्रि‍यों की सुवि‍धा के लि‍ए वि‍शेष सुवि‍धाएं जैसे ऑटोमेटि‍क गाड़ि‍यों और छोटे 'हैंड बैगेज ट्राली' की व्‍यवस्‍था करे। इसके लि‍ए कोई शुल्‍क नहीं लि‍या जाय।
2.      देश के सभी परिचालन हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ/ सुरक्षा सहायता केंद्र बनाने का नि‍र्णय लि‍या गया है।
3.      एयर इंडि‍या को कहा गया है कि‍ वह इंटरनेट से कराए जाने वाली बुकिंग की प्रक्रि‍या सरल करें और भुगतान और खो गए सामान के दामों का तेजी से समाधान हो सके।
4.      श्री अमरनाथ जी यात्रा के लि‍ए हेलीकॉप्‍टर सेवा प्रदान करने वाले से कहा गया है कि‍ वह श्रद्धालुओं के लि‍ए हेलीपेड पर कुछ मुलभुत सुवि‍धा जैसे पीने का पानी, चाय कॉफी और मूंगफली और सूखे मैवे जैसे स्‍नैक्‍स की व्‍यवस्‍था नि‍:शुल्‍क करे। यह यात्रा 28 जून से शुरू हो गई है।
5.      डीजीसीए हर शुक्रवार को दोपहर बाद 2:00 बजे से 5:00 बजे तक जन्‍म मि‍त्र दि‍वस का अयोजन करेगा, जि‍समें कोई भी व्‍यक्‍ति‍ बि‍ना पूर्वानुमति‍ के डीजीसीए के अधि‍कारि‍यों से मि‍ल सकेंगे।
इसके अतिरिक्त भी कुछ व्‍यवस्‍था की गई है, जो कि‍ भारतीय वि‍मानपत्‍तन प्राधि‍करण और महानि‍देशक नागरि‍क उड्डयन (डीजीसीए) से संबंधि‍त है।
भारत सरकार तथा विश्‍व बैंक ने आज यहां राष्‍ट्रीय राजमार्ग अन्‍तर-सम्‍पर्कता सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के लिए, 50 करोड़ अम‍रीकी डॉलर की आईबीआरडी सहायता के लिए, विश्‍व बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये है। भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्‍त सचिव श्री नीलाया मिताश तथा भारत में विश्‍व बैंक के संचालन सलाहकार माइकल हैनी ने विश्‍व बैंक की ओर से समझौते पर हस्‍ताक्षर किये। 
इस परियोजना का उद्देश्‍य कम विकसित राज्‍यों के साथ राष्‍ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क सम्‍पर्कता में सुधार करना तथा राजमार्ग नेटवर्क के उत्तम संचालन के लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की संस्‍थागत क्षमता बढ़ाना है। परियोजना के अन्‍तर्गत कम आय वाले राज्‍यों ( बिहार, उड़ीसा तथा राजस्‍थान) व दो मध्‍य आय वाले राज्‍य (कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल) के कम विकास वाले क्षेत्रों में, राष्‍ट्रीय राजमार्ग की वर्तमान लगभग एक हजार एक सौ बीस किलोमीटर एकल/मध्‍यवर्ती लेन का उन्‍नयन करना शामिल है। इस सम्‍पूर्ण परियोजना का आकार 114.605 करोड़ अमरीकी डॉलर है। 
सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार इस परियोजना की कार्यान्‍वयन संस्था है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज), प्रवेश कर, चुंगी, ,वैट पर इनपुट कर, संबंधी प्रतिबंधों जैसी उगाहियों के कारण, कुछ राज्य विशिष्ट लागतें (एसएससी) वहन करती हैं, जो ओएमसीज के लिए वसूली योग्य नहीं होती हैं। 
यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुछ भारतीय राज्यों की राजस्व संबंधी मांगें, पूरे देश के उपभोक्ताओं के लिए भार नहीं बन जाएं, सरकार ने ऐसे करों को वसूल करने वाले राज्य/नगरपालिका क्षेत्र के उपभोक्ताओं से, गैर वसूली योग्य उगाहियों की भरपाई के लिए 24 जुलाई 2012 को राज्य‍ विशिष्ट लागतों की, एक योजना आरम्भ की थी। 
इस योजना के अनुसार, ओएमसीज उन 12 राज्यों के संबंध में पीडीएस मिट्टी तेल और घरेलू एलपीजी सहित संवेदनशील पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा बिक्री मूल्यू (आरएसपी) में तिमाही आधार पर संशोधन कर रही थीं, जहां ऐसे राज्य विशिष्ट कर वहन किए जा रहे थे। इन राज्यों में नवीनतम संशोधन जुलाई 2014 में किया जाना था।
इन संशोधनों से, कुछ राज्यों में घरेलू एलपीजी के खुदरा बिक्री मूल्य में वृद्धि हो जानी थी, अर्थात केरल: 4.50 रूपए प्रति सिलेंडर, कर्नाटक: 3.0 रूपए प्रति सिलेंडर, मध्य प्रदेश: 5.50 रूपए प्रति सिलेंडर और उत्तर प्रदेश: 1 रूपया प्रति सिलेंडर और साथ ही कुछ राज्यों में इसमें कमी हो जाती अर्थात असम: 9.50 रूपए प्रति सिलेंडर, बिहार: 1.50 रूपए प्रति सिलेंडर और महाराष्ट्र : 3.00 रूपए प्रति सिलेंडर।
एसएससी योजना से, पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में महाराष्ट्र में 0.11 रूपए प्रति लीटर से लेकर, नवी मुम्बई में 1.32 रूपए प्रति लीटर तक कमी और हरियाणा और उत्तर प्रदेश में क्रमश: 2 पैसे और 8 पैसे की मामूली वृद्धि हो जाती।
सरकार के लिए उपभोक्ताओं का हित सर्वोपरि है और इसलिए एसएससी के संशोधन के कारण घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में हुई वृद्धि के किसी भी प्रभाव से, उपभोक्ताडओं को बचाने का निर्णय लिया है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि उन उपभोक्ताओं के लिए घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में संशोधन को, राज्यक सरकारों के साथ राज्य विशिष्ट लागत योजना के संबंध में विचार-विमर्श पूरा होने तक, नहीं किया जाएगा, जिन उपभोक्ता‍ओं के लिए घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के संबंध में एसएससी में वृद्धि हुई थी। तथापि, उपभोक्ताओं के हित में घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्यों में कमी का लाभ, जहां भी लागू हो, सरकार द्वारा एसएससी योजना की समीक्षा किए जाने तक बना रहेगा। 
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां आईएआरआई के जल प्रौद्योगिकी केन्द्र में पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री डॉ संजीव कुमार बालयान, आईसीएआर के निदेशक एस अय्यप्पन और आईएआरआई के निदेशक डॉ एच एस गुप्ता भी उपस्थित थे। 
आईएआरआई का जल प्रौद्योगिकी केन्द्र (डब्ल्यूटीसी) मुख्य रूप से कृषि के क्षेत्र में जल संसाधनों के प्रभावकारी उपयोग के काम में लगा है। इसने अपने दिल्ली परिसर में एक पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र विकसित किया है। यह संयंत्र 1.42 हेक्टेयर में फैला है और कृषि कुंज कॉलोनी से प्राप्त 22 लाख लीटर अपशिष्ट जल का उपचार करने में सक्षम है। इस पर लगभग 1.2 करोड़ रुपए की लागत आई है और आईएआरआई के 330 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई हो पाती है। पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (ई-एसटीपी) के तीन उपचार प्रकोष्ठ हैं और प्रत्येक की लंबाई 80 मीटर और चौडाई 40 मीटर है। 
इस संयंत्र की उल्लेखनीय विशेषता यह है कि पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र की तुलना में इससे पर्यावरण पर 33 गुना कम प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि इसके द्वारा उपचारित जल में टर्बीडिटी, बीओडी, नाइट्रेट, फॉस्फेट, आयरन, निकेल और सल्फेट की काफी कम मात्रा पाई जाती है। 
पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार प्रणालियों की तुलना में आईएआरआई की अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकी में केवल 01% ऊर्जा का उपयोग होता है और इसमें रासायनिक पदार्थ का उपयोग बिल्कुल नहीं होता है, साथ ही इसमें चिपचिपा पदार्थ या कीचड़ बिल्कुल भी नहीं बनता है और उपचार पर आने वाली लागत में 50-60% की कमी हो जाती है। इसमें कुशल कामगारों की भी आवश्यकता नहीं होती है। जैविक कचरे के उपयोग द्वारा इसके एक एकीकृत व्यावसायिक प्रारूप में परिणत होने की काफी संभावना है। इसलिए इसे ‘कचरे से नगदी’ नामक व्यावसायिक प्रारूप के नाम से जाना जाता है। 
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Monday, June 30, 2014

आठ महत्वपूर्ण उद्योगों का सूचकांक

 (आधारः 2004-05=100), मई 2014 
आठ मुख्य उद्योगों का सूचकांक (आधारः 2004-05=100), का सारांश अनुबंध में दिया गया है।
    आठ मुख्‍य उद्योगों (आधार: 2004-05 =100) के सूचकांक का संयुक्‍त महत्‍व औद्योगिक उत्‍पादन के सूचकांक में 37.90% है।  मई 2014 में आठ मुख्‍य उद्योगों का संयुक्‍त सूचकांक 168.7% है जो मई 2014 की तुलना में 2.3% अधिक है। अप्रैल-मई, 2014-15 के मध्य इसमें संचयी व़ृद्धि 3.3% रही।
कोयला
मई 2013 की तुलना में मई 2014 में कोयला उत्‍पादन (महत्‍व 4.38%) 5.5% बढ़ गया। अप्रैल- मई 2014-15 के मध्य इसका संचयी सूचकांक गत समान अवधि की तुलना में 4.4% बढ़ गया।
क्रूड तेल
मई 2014 की तुलना में मई 2014 में क्रूड तेल उत्‍पादन (महत्‍व 5.22%) 0.3% कम हो गया। अप्रैल- मई 2014-15 के मध्य इसका संचयी सूचकांक गत समान अवधि की तुलना में 0.2% कम हो गया।
प्राकृतिक गैस
मई 2013 की तुलना में मई 2014 में प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन (महत्‍व 1.71%) 2.2% कम हो गया। अप्रैल-मई 2014-15 के मध्य इसका संचयी सूचकांक गत समान अवधि की तुलना में 5.0% कम हो गया।
पेट्रोलियम शोधन उत्‍पाद (0.93% क्रूड उत्पादन)
मई 2013 की तुलना में मई 2014 में पेट्रोलियम शोधन उत्‍पादन (महत्‍व 5.94%) 2.3% कम हो गया। अप्रैल-मई 2014-15 के मध्य इसका संचयी सूचकांक गत समान अवधि की तुलना में 2.2% कम हो गया।
उर्वरक
मई 2013 की तुलना में 2014 में उर्वरक का उत्‍पादन (महत्‍व 1.25%) 17.6% बढ़ गया। हालांकि अप्रैल-मई 2014-15 के मध्य इसकी संचयी वृद्धि गत समान अवधि की तुलना में 14.5% रही।
इस्‍पात (अलॉय और नॉन अलॉय) मई 2013 की तुलना में मई 2014 में इस्‍पात का उत्‍पादन (महत्‍व 6.68%) 2.0% कम हो गया। अप्रैल-मई 2014-15 के मध्य इसकी संचयी वृद्धि गत समान अवधि की तुलना में 0.3% रही।
सीमेंट
मई 2013 की तुलना में मई 2014 में सीमेंट का उत्‍पादन (महत्‍व 2.41%) 8.7% बढ़ गया। किन्तु अप्रैल-मई 2014-15 के मध्य इसकी संचयी वृद्धि पिछली समान अवधि की तुलना में 7.7% रही।
विद्युत
मई 2013 की तुलना में मई 2014 में विद्युत का उत्‍पादन (महत्‍व 10.32%) 6.3 प्रतिशत बढ़ गया। अप्रैल-मई 2014-15 के दौरान इसकी संचयी वृद्धि पिछली समान अवधि की तुलना में 8.7% रही।
टिप्‍पणी – आंकड़े अनंतिम हैं। कोयलाक्रूड तेलप्राकृतिक गैसरिफाइनरी उत्‍पादोंइस्‍पात और सीमेंट के संबंध में गत वर्ष के समकक्ष माह के लिए प्राप्‍त संशोधित आंकड़ों के आधार पर संशोधन किया गया है।
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Friday, June 27, 2014

खरीफ की बुवाई

131 लाख हैक्‍टेयर से अधिक क्षेत्र में खरीफ फसल की बुवाई हुई। 
नवीनतम रपट के अनुसार खरीफ की फसलों की बुवाई 131 लाख हैक्‍टेयर क्षेत्रफल को पार कर गई है। 
दिनाक 27.06.2014 तक 21.91 लाख हैक्‍टेयर भूमि पर धान की बुवाई/ रोपाई , 4.30 लाख हैक्‍टेयर में दलहनों, 19.54 लाख हैक्‍टेयर में मोटे अनाजों तथा 4.79 लाख हैक्‍टेयर भूमि पर में तिलहनों की बुवाई की गई है। 
गन्‍ने और कपास की बुवाई प्रगति पर है। आज तक 43.92 लाख हैक्‍टेयर भूमि पर गन्‍ना और 29.07 लाख हैक्‍टेयर में कपास की बुवाई की गई है।
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Thursday, June 26, 2014

मुद्दे- खाद्य सुरक्षा, श्रम एवं रोजगार, ऊर्जा एवं संचार सेवा

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) की आम परिषद ने 2014-15 में तिलहन और दालों का उत्‍पादन बढ़ाने की योजना के लिए 2100 करोड़ रूपये स्वीकृत किये 
राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) की सामान्य परिषद ने 2014-15 के लिए विभिन्‍न राज्‍यों की कार्य योजनाओं को स्वीकृति दी है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने इस बैठक की अध्‍यक्षता की। 
परिषद ने हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर और उत्‍तराखंड में दालों को एनएफएसएम कार्यक्रम के अधीन लाने को भी स्‍वीकृति दी। परिषद ने खाद्यान्‍न की तिलहन के साथ बारी- बारी से खेती करने को प्रदर्शित करने का भी अनुमोदन किया। यह अब तक मिशन की गतिविधियों का अंग नहीं था। ऐसा, तिलहन का उत्‍पादन बढ़ाने पर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए किया गया है। 
सामान्य परिषद ने 2013-14 में एनएफएसएम के कार्य कौशल की समीक्षा की। इसके लिए महाराष्‍ट्र, उत्‍तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडू ने एनएफएसएम में अपने प्रस्‍तुतिकरण किये। 
केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्‍थान के निदेशक ने भारत में संकर चावल की खेती की संभावना और चावल के उत्‍पादन में इसकी भूमिका पर अपने विचार प्रस्‍तुत किेये। कृषि मंत्री ने निर्देश दिया कि धान उगाने वाले विभिन्‍न राज्‍यों में संकर बीज तैयार करने की संभावना का पता लगाया जाए। मंत्री महोदय ने देश के विभिन्‍न भागों के वर्षा-सिंचित क्षेत्रों में दालों के उत्‍पादन की संवर्धित तकनीकों का अधिक प्रदर्शन करने पर भी बल दिया। 
मंत्री महोदय ने भूमि का परीक्षण करने और विशेषकर लघु और मझोले किसानों को भू-स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड प्रदान करने की आवश्‍यकता पर भी बल दिया। इससे किसानों को खेती में पड़ने वाले अवयवों के बारे में निर्णय लेने में सहायता मिलेगी और परिणामस्‍वरूप उत्‍पादकता श्रेष्ठ और लागत संयमित होगी। 
12 हजार 500 करोड़ रूपये की ट्रांसमिशन परियोजनाएं स्वीकृत 
अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन लाइनों की उच्च क्षमताओं का तेजी से निर्माण करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने 12 हजार 500 करोड़ रूपये से अधिक लागत की नौ नई परियोजनाओं को अपनी स्वीकृति दे दी है। 
इन ट्रांसमिशन परियोजनाओं से 765/400 किलोवॉट के नये सब-स्टेशनों के निर्माण के अतिरिक्त 2100 मेगावॉट तक ले जाने वाली 765 किलोवाट की उच्च क्षमता वाली लाइनों की उपलब्धता से हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे अनेक राज्यों को लाभ होगा। इन परियोजनाओं से एनटीपीसी के 660 मेगावॉट के सीपट, 1600 मेगावॉट गदरवाड़ा के केन्द्रीय उत्पादन स्टेशनों, सासन यूएमपीपी (1320 मेगावॉट) जैसे निजी क्षेत्र उत्पादन स्टेशनों से विद्युत भार कम करने में सहायता मिलेगी। उत्तरी ट्रांसमिशन प्रणाली को सुदृढ़ करके हरियाणा क्षेत्र में भी भीड़-भाड़ को कम किया जा सकेगा। इन परियोजनाओं को निजी क्षेत्र सहित सभी बोलीदाताओं से भागीदारी आमंत्रित करके, प्रतियोगी बोली प्रणाली आधारित दर सूची के माध्यम से विकसित किया जाएगा। 
ये परियोजनाएं गत कई माह से सरकार की स्वीकृति प्रक्रिया में अटकी थीं। इन्हें लागू करने की स्वीकृति तुरंत दी गई है। आगामी तीन वर्षों में, कुल मिलाकर लगभग 28 हजार मेगावॉट की, अंतरक्षेत्रीय ट्रांसमिशन क्षमता जोड़ी जाएगी। जिससे 2017 तक कुल क्षमता बढ़कर 66 हजार मेगावॉट हो जाएगी। 
राज्यों के श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक 
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने रोजगार के सृजन को सरकार की प्रथम प्राथमि‍कता बताया है। आज नई दिल्ली के स्कोप काम्पलैक्स में, राज्‍यों के श्रम एवं रोजगार मंत्रि‍यों की एक दि‍वसीय बैठक को संबोधि‍त करते हुए, उन्‍होंने कहा कि‍ भारत के युवाओं को रोजगार के अवसरों के साथ-साथ, समुचि‍त एवं सुसंगत कौशल वि‍कास के अवसर प्राप्‍त हो सकें, इस दि‍शा में सरकार रोजगार केंद्रों को, सम्भावना केंद्रों में परि‍वर्तित करने की महत्‍वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। कौशल वि‍कास के प्रति‍ सरकार की प्रति‍बद्धता की घोषणा करते हुए, श्रम मंत्री ने रोजगार एवं प्रशि‍क्षण महानि‍देशालय द्वारा प्रस्‍तावि‍त, नई पहलों का उल्‍लेख कि‍या; इनमें अब तक न पहुंचे जा सके खंडों में, आईटीआई का वि‍स्‍तार, आईटीआई के पाठ्यक्रम को अद्यतन कि‍या जाना एवं पारंपरि‍क प्रशि‍क्षण को मान्‍यता देना शामि‍ल है। 
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि‍ सरकार ने असंगठि‍त क्षेत्र में सामाजि‍क सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दि‍शा में, राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना को अधि‍क प्रभावी बनाने तथा इसका वि‍स्‍तार करने का कार्य शुरू कि‍या है। श्रम, संवि‍धान की समवर्ती सूची का वि‍षय होने के कारण, केंद्र तथा राज्‍य सरकारें श्रम वि‍धानों के साथ-साथ, श्रम कल्‍याण की नीति‍यों के क्रि‍यान्‍वयन में समान रूप से भागीदार हैं। उन्‍होंने कहा कि‍ केंद्र और राज्‍य सरकारों का यह सामूहि‍क दायित्व है कि‍ वे देश के 47 करोड़ मजदूरों की पहचान, चि‍न्‍हीकरण तथा पंजीकरण के कार्य को सुनि‍श्‍चि‍त करें। उन्‍होंने कहा कि‍ जि‍स प्रकार श्रमि‍कों की पहचान, चि‍न्‍हीकरण तथा पंजीकरण अनि‍वार्य है, उसी प्रकार सरकार द्वारा प्रदत्‍त सुवि‍धाएं, उन तक पहुंचाना हमारा दायित्व है। 
केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि‍ अंतर्राज्‍यीय प्रवासी कामगार अधि‍नि‍यम का कार्यान्‍वयन, एक अन्‍य क्षेत्र है, जि‍नमें राज्‍यों के बीच सहयोग की महत्‍वपूर्ण भूमि‍का है। उन्‍होंने भारत सरकार के कर्मचारी भवि‍ष्‍य नि‍धि‍ संगठन द्वारा, वैश्विक खाता (यू अ) जारी कि‍ए जाने की पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि‍ इससे प्रवासी तथा असंगठि‍त क्षेत्र के श्रमिकों सहि‍त समस्‍त श्रमि‍क वर्ग को इस सेवा का लाभ मि‍ल सकेगा। 
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि‍ बैठक का उद्देश्‍य राज्‍यों के साथ श्रम जगत के पासंगि‍क मुद्दें, चिंताओं एवं चुनौति‍यों की चर्चा करते हुए केंद्र तथा राज्‍यों के स्‍तर पर की जा रही, नई पहल तथा सुझावों पर वि‍चार-वि‍मर्श हेतु मंच प्रदान करना है। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि‍ केंद्र एवं राज्‍य सरकारें साझा चुनौति‍यों पर गहन समरसता के साथ कार्य को आगे बढ़ा सकेंगी।
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई, इस एक दि‍वसीय बैठक में राज्यों के श्रम मंत्रियों के अतिरिक्त केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, विष्णु देव साय, श्रम एवं रोजगार सचि‍व, श्रीमती गौरी कुमार सहि‍त राज्‍यों के श्रम सचि‍व एवं श्रम आयुक्‍त तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारी भी उपस्‍थि‍त थे। बैठक में मुख्‍य रूप से श्रम कानून, कौशल वि‍कास तथा संगठि‍त एवं असंगठि‍त क्षेत्रों के लि‍ए सामाजि‍क सुरक्षा से संबंधि‍त वि‍धानों तथा योजनाओं पर, राज्‍यों द्वारा वि‍स्‍तृत प्रस्‍तुतीकरण कि‍ए गए। 
ट्राई ने, दूरसंचार सेवाओं से ग्राहक संतुष्टि पर की गयी स्वतंत्र एजेंसी के सर्वेक्षण पर रिपोर्ट जारी की 
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण-ट्राई ने स्वतंत्र संस्थाओं के माध्यम से सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जा रही, सेवाओं की गुणवत्ता के मूल्यांकन तथा ग्राहक संतुष्टि, पर सर्वेक्षण कराया है और (i) ग्राहक के हित में ट्राई द्वारा क्रियान्वयन और विभिन्न नियमों, निर्देशों और आदेशों के प्रभाव का आकलन, (ii) अक्तूबर 2013 से मार्च 2014 के बीच सर्वेक्षण के द्वारा दूरसंचार सेवाओं के बारे में ग्राहकों की अवधारणा का आकलन करने का प्रयास किया गया। यह सर्वेक्षण हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश पश्चिम, उत्तर प्रदेश पूर्व, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और मुंबई के सेवा क्षेत्रों में कराया गया है।
सेवा मापदंडों की गुणवत्ता पर सर्वेक्षण
     सर्वेक्षण की पद्धति के अनुसार नियमों में निर्दिष्ट गुणवत्ता सेवाओं से संबंधित सात मापदंडों पर ग्राहक अवधारणा का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण प्रश्नावली तैयार की गयी है।
·        सेवाओं का प्रावधान
·        बिलिंग प्रदर्शन
·        ग्राहक शिकायत निवारण सहित सहायता सेवाएं
·        नेटवर्क प्रदर्शन, विश्वसनीयता और उपलब्धता
·        अनुरक्षणीयता अर्थात रख-रखाव की योग्यता 
·        पूरक और मूल्य वर्धित सेवाएं
·        कुल मिलाकर सेवा गुणवत्ता 
ग्राहको की संतुष्टि का मूल्याकंन एक से लेकर सात बिन्दु के स्तर पर किया गया, जिसमें चार से लेकर सात का मूल्याङ्कन ग्राहक संतुष्टि को दिखाता है, जबकि चार से नीचे का, ग्राहक की असंतुष्टि को प्रदर्शित करता है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि संतुष्टि का स्तर क्षेत्र से क्षेत्र और सेवा प्रदाता से सेवा प्रदाता के साथ बदलता रहता है।
विभिन्न नियमों वाले ग्राहक केन्द्रित प्रावधानों का सर्वेक्षण
  शिकायतों के निवारण तंत्र, मोबाइल नम्बर और यूसीसी नियमों के क्रियान्वयन के बारे में जागरूकता से संबंधित, नियमों के प्रभाव के आकलन के लिए कई मानकों के तहत, विभिन्न बिन्दुओं पर सर्वेक्षण कराया गया था। सर्वेक्षण के परिणामों से पता चलता है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अपने ग्राहकों को विभिन्न शिकायत निवारण तंत्र के बारे में जागरूक करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें ग्राहक संतुष्टि में सुधार के लिए अपील प्राधिकरण के बारे में भी जागरूक करना शामिल है।
विस्तृत रिपोर्ट के लिए ट्राई की वेबसाइटwww.trai.gov.in  देखी जा सकती है।
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Thursday, June 19, 2014

पेंशन प्रक्रिया में सुधार

पहली पेंशन मिलने में देरी कम- 
पेंशन प्रपत्रों के साथ शपथपत्र जमा करने-सेवानिवृत्ति की दिनांक पर पेंशन भुगतान की पहल 
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया गृहमंत्रालय के टि्वटर खाते का आरम्भ 
सरकार के पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के अभियान के अनुरूप केन्‍द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय की सरकारी टि्वटर सेवा आरम्भ की। यह सेवा @HMOIndia है। 
इस अवसर पर राजनाथ ने कहा कि मंत्रालय की इस टि्वटर सेवा से लोगों को सरकार की ओर से लोगों को होने वाली महत्‍वपूर्ण घटनाओं की जानकारी मिल सकेगी। 
सरकार का मानना है कि सेवानिवृत्ति के बाद पहली बार पेंशन के भुगतान में देरी मुख्‍यत: दो कारणों से होती है। पहला पेंशनधारी से यह जानकारी मिलने में देरी कि पेंशन के कागज बैंक में पहुंच चुके हैं और दूसरा पेंशनधारी की ओर से बैंक को यह शपथ पत्र देने में देरी, कि वह उस धनराशि को लौटा देगा अथवा ऐसी किसी भी राशि की क्षतिपूर्ति करेगा जिसका उसे अधिकार नहीं है। 
राज्‍य सरकारों के पेंशन सचिवालयों के साथ हाल में एक कार्यशाला में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्‍य मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने निर्णय किया है आवश्‍यक ‘’शपथ पत्र’’ सरकारी कर्मचारी के कार्यालय के प्रमुख द्वारा प्राप्‍त किया जा सकता है और इसे पेंशन भुगतान आदेश के साथ पेंशन देने वाले बैंक के पास भेजा जा सकता है। पेंशन संबंधी प्रपत्रों के साथ यह शपथ पत्र मिलने पर बैंक शीघ्रातिशीघ्र पेंशनधारी के खाते में पेंशन राशि जमा कर सकता है। पेंशनधारी को प्रथम पेंशन आरम्भ कराने के लिए बैंक जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 
इस प्रक्रिया में परिवर्तन का एक अतिरिक्‍त लाभ होगा कि पेंशन भुगतान आदेश सेवानिवृत्‍त कर्मचारी को अन्‍य सेवानिवृत्ति बकायों के साथ दिया जा सकता है। इससे पहले पेंशनधारी को पेंशन भुगतान आदेश की अपनी प्रति लेने के लिए बैंक जाना पड़ता था। 
सुधारों की पहल राज्‍य मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने राज्‍य सरकार के पेंशन सचिवालय के साथ 12 जून 2014 को हुई बैठक में की।
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Tuesday, June 17, 2014

मूलभूत सुविधा व ढांचागत सुधार

'निर्धन वित्‍तीय सहायता प्रोत्‍साहन' 
रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने के लिए शहरी गरीबों के लिए कौशल प्रशिक्षण
केन्‍द्रीय शहरी विकास मंत्री ने शहरी क्षेत्रों में गरीबों के लिए बैंकों से वित्‍तीय सहायता देने को प्रोत्‍साहन देने पर बल दिया 
वृक्षारोपण अभियान
उमा भारती ने राष्‍ट्रव्‍यापी वृक्षारोपण अभियान का शुभांरभ किया 
केन्‍द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने आज एक राष्‍ट्रव्‍यापी वृक्षारोपण अभियान और नदियों को बचाने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मंत्री महोदया ने केदारनाथ त्रासदी के शिकार हुए लोगों की स्मृति में दिल्‍ली में यमुना के किनारों पर पौधारोपण किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में सुश्री भारती ने कहा कि बड़ी मात्रा में वृ‍क्षारोपण अभियान से न केवल देश की नदियों के किनारे सुदृढ़ होंगे, बल्कि बाढ़ और मिट्टी के कटाव की संभावनाएं भी कम होंगी। इसी प्रकार के वृक्षारोपण कार्यक्रम गंगोत्री, हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, नबद्वीप और गंगासागर में भी आयोजित किए गए। 
उत्कृष्टता केन्द्र का उद्घाटन 
कलराज मिश्र ने भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरू में उत्कृष्टता केन्द्र का उद्घाटन किया
केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री कलराज मिश्र ने आज बंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) परिसर में उत्कृष्टता केन्द्र का उद्घाटन किया। यह उत्कृष्टता केन्द्र एमएसएमई और आईआईएस, बंगलुरू के बीच हुए समझौते (एमओयू) के अधीन एक संयुक्त पहल है। आईआईएस अपने अनुसंधानकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और प्राध्यापकों के ज्ञान भंडार से इस केन्द्र के माध्यम एमएसएमई क्षेत्र में नवरचना, प्रतिस्पर्धा और विकास में योगदान करेगा। 
यह केन्द्र उद्योगों के स्वदेशीकरण और मूल्य इंजीनियरिंग के लिए प्रक्रिया और उत्पाद डिजाइन तथा विकास के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा। यह धारणा विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई थी और इस कार्य के लिए आईआईएस में आठ विभागों को चिन्हित किया गया था। 
लघु उद्योग मंत्री ने इस प्रथम पहल के लिए, जिसमें सरकार और शिक्षाविद् उत्कृष्टता के इस केन्द्र के माध्यम सेवाएं उपलब्ध कराएंगे, किए गए प्रयासों के लिए मंत्रालय और आईआईएस को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उद्योग क्षेत्र विशेष कर एमएसएमई को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
मलिन बस्तियों का विकास
केन्‍द्रीय शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज मलिन बस्तियों का नये सिरे से विकास और शहरी गरीबों के लिए सस्‍ते मकान बनाने के उद्देश्‍य से, नई योजनाएं तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में गरीबों को, बैंकों से वित्‍तीय सहायता देने को प्रोत्‍साहन दिया जाना चाहिए। 
नायडू ने आवास और शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय के वर्तमान कार्यों और नई प्रस्‍तावित योजनाओं की विशेषताओं को, अंतिम रूप देने के संबंध में अनेक समीक्षा बैठकें की। नायडू ने मलिन बस्तियों का नये सिरे से विकास करने और शहरी गरीबों के लिए सस्‍ते मकान बनाने के लिए, नई योजनाएं तैयार करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्‍होंने शहरी आजीविका कार्यक्रम में, कौशल उन्‍नयीकरण का क्षेत्र बढ़ाने का निर्देश दिया। 
नायडू ने अधिकारियों से कहा कि नई योजनाएं समाज के वंचित वर्गों, विशेषकर आर्थिक दुर्बल वर्गों अर्थात ईडब्‍ल्‍यूएस, एलआईजी आदि को अधिकतम लाभ देने के उद्देश्‍य से तैयार की जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ये योजनाएं सरल होनी चाहिए और इनमें राज्‍य सरकारों, शहरी स्‍थानीय निकायों, सभ्य सामज/एनजीओ तथा बैंकों और वित्‍तीय संस्थानों को, सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए। उन्‍होंने एक पारदर्शी और प्रतिस्‍पर्धी के प्रक्रिया के माध्यम, निजी साझेदारी को शामिल करने का आह्वान किया। 
वेंकैया नायडू ने कहा कि शहरों में अनुमानत: प्राय: एक करोड़ 90 लाख मकानों की भारी कमी के दृष्टिगत, सभी साझेदारों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। इसे ऐसे प्राय: एक करोड़ मकानों के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए, जो गत जनगणना के अनुसार खाली/बंद पड़े हैं। इसलिए केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के स्‍तर पर, प्रमुख नीतिगत परिवर्तन और सुधार करने की आवश्यकता है। उन्‍होंने कहा ‘’यदि हमने यही व्यव्हार बनाए रखा, तो 2020 तक तीन करोड़ मकानों की कमी हो जाएगी।‘’ सरकार उचित वित्‍तीय और गैर-वित्‍तीय छूट देने से पीछे नहीं हटेगी, किन्तु राज्‍य सरकारों को आवास और मूलभूत ढ़ांचा परियोजनाओं को, स्वीकृति तेजी से देनी होगी और सस्‍ती आवासीय परियोजनाओं के लिए उदार नियम बनाने होंगे। 
निर्माणाधीन मकान
नायडू ने प्राय: 3.77 लाख निर्माणाधीन मकानों को तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया। 
उन्‍होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में गरीबों के लिए मकान बनाने के उद्देश्‍य से बैंकों से वित्‍तीय सहायता को प्रोत्‍साहन देने की आवश्यकता है, इसके लिए एक शीर्ष बैंक बनाने की आवश्यकता है, जो शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सहायता की निगरानी कर सके।
उन्‍होंने शहरी गरीबों को कौशल प्रशिक्षण देने पर बल दिया, जिससे युवाओं के लिए आजीविका की स्‍थायी व्‍यवस्‍था हो सके। ‘’शहरी बेघरों के लिए आश्रय’’ योजना की समीक्षा करते हुए, उन्‍होंने सुझाव दिया कि व्‍यक्तिगत दानदाताओं, एनजीओ, धर्मार्थ संगठनों को शहरी बेघरों के लिए आश्रय के निर्माण और उनके रख-रखाव के लिए, प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि एमपी-लैड योजना के अंतर्गत, बेघरों के लिए आश्रय के निर्माण की अनुमति लेने के लिए, वह सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के साथ बातचीत करेंगे। 
केन्‍द्रीय शहरी विकास मंत्री ने घोषणा की कि कुछ और शहरों को राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत लाया जाएगा, जिससे शहरों में रह रहे अधिकतम गरीबों को लाभ मिल सके। सभी शहरों में शहरी आजीविका केन्‍द्र स्‍थापित किये जाएंगे, जहां गरीबों को अपने उत्‍पाद प्रदर्शित करने और उन्‍हें बेचने की सुविधा होगी। 
मंत्रालय में सचिव श्रीमती अनिता अग्निहोत्री ने मंत्री महोदय को आश्‍वासन दिया कि मंत्रालय एक निश्चित समय सीमा के भीतर उनके निर्देशों को कर्यरूप में लाएगा। 
ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड सुविधा 
बीएसएनएल और एमनटीएनएल के प्रदर्शन पर कड़ी निगरानी 2,50,000 ग्राम पंचायतों को तीन वर्ष के अंदर ब्रॉडबैंड सुविधा दी जाएगी 
संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की प्रमुख प्राथमिकता, भारत को वैश्‍विक इलेक्‍ट्रॉनिक निर्माण का केंद्र बनाना है। 
संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी तथा विधि और न्‍याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि विगत में गलत कारणों से विभाग के चर्चा में रहने के कारण विभाग का मनोबल सुखद स्‍थिति में नही है। प्रसाद ने स्पष्ट रूप में कहा कि अब निर्णय योग्‍यता के आधार पर लिया जाएगा और अब पैरवी के दिन लद गए। उन्‍होंने सभी अधिकारियों से कहा कि वे खुले रूप में निर्णय लेना सीखें जिससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के सबसे महत्‍वपूर्ण क्षेत्र का विकास सुनिश्‍चित हो सके। प्रसाद ने बीएसएनएल तथा एमटीएनएल के कार्य प्रदर्शन और मूलभूत संरचना में सुधार पर बल देते हुए कहा कि यह प्राथमिकता का महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है। उन्‍होंने कहा कि वे स्‍वयं बीएसएनएल और एमटीएनएल के कामकाज की सक्रिय निगरानी करेंगे। इसके लिए उनके कक्ष में उचित उपकरण लगाने का निर्देश दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि किसी विशेष सर्किल में 'बेस ट्रांसमिशन स्‍टेशन' संतोषजनक ढंग से काम नहीं करने के मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। 
संचार मंत्री ने कहा कि तीन वर्षों मे, देश के 2,50,000 ग्राम पंचायतों में 'ब्रॉडबैंड' सुविधा दे दी जाएगी। आज नई दिल्‍ली में संचार भवन में संवादाताओं से बातचीत में, संचार मंत्री ने कहा कि चालू वित्‍त वर्ष में 50,000 ग्राम पंचायतों को कार्य विस्तार करने का लक्ष्‍य है, तथा 2015-16 और 2016-17 प्रत्‍येक वर्ष में एक लाख ग्राम पंचायतों में कार्य विस्तार किया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के प्रदर्शन में सुधार प्राथमिकता है, जिससे व्यापक उपभोक्‍ता संतुष्‍टि के लिए, इन संगठनों की सेवाओं में सुधार किया जाए। 
प्रसाद ने कहा कि सरकार देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में, दूरसंचार नेटवर्क में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। 5,000 करोड़ की अनुमानित लागत से 8,000 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे। प्रसाद ने बताया कि राष्‍ट्रव्‍यापी मोबाइल नेटकर्क पोर्टेबिलिटी(एमएनपी) के लिए, सिद्धांत रूप में स्वीकृति दे दी गई है और ट्राई की अनुशंसाएँ आने के बाद इसे लागू किया जाएगा। 
इलेक्‍टॉनिक्‍स विभाग तथा सूचना प्रौद्योगिकी की प्राथमिकता के बारे में, रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि इलेक्‍ट्रॉनिक निर्माण प्राथमिकता का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में दो करोड़ 80 लाख लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। उन्‍होंने बताया कि मंत्रालय ने संशोधित विशेष प्रोत्‍साहन सब्‍सिडी योजना के लिए, आठ नए क्षेत्रों की पहचान की है। इन क्षेत्रों में गाजियाबाद(उत्‍तर प्रदेश), वडोदरा और गांधी नगर(गुजरात), नागपुर, नासिक, औरंगाबाद तथा थाणे(महाराष्‍ट्र) शामिल है। 
उन्‍होंने बताया कि मंत्रालय ने भोपाल, भुवनेश्‍वर, हैदराबाद, महेश्‍वरम्, भिवाड़ी, जबलपुर, होसुर तथा काखानाडा में ग्रानफील्‍ड निर्माण गलियारा विकसित करने का काम हाथ में लिया है। प्रसाद ने कहा कि देश में मोबाइल फोन के क्षेत्र में विकास तथा उपभोक्‍ताओं के कल्‍याण के दो लक्ष्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए, वह स्‍पेक्‍ट्रम संबंधी विषयों के लिए पारदर्शी प्रबंधन करने की प्रक्रिया में है। 
डाक विभाग की प्राथमिकताओं के बारे में रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि उनका मंत्रालय वित्‍तीय समावेश के लिए 'पोस्‍टल बैंकिंग' स्‍थापित करने पर काम कर रहा है। उन्‍होंने बताया कि देश के एक लाख 55 हजार डाकघरों में, कुल बचत जमा 6 लाख करोड़ रुपए है। 'प्रसाद ने कहा कि 'ब्रॉडबैंड कनेक्‍टिविटी' परियोजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। उन्‍होंने बताया कि बीएसएनएल, पावर ग्रिड कारपोरेशन तथा रेलटेल तीन पायलट परियोजनाओं पर काम कर रही हैं और इन्‍हें चरणबद्ध ढंग से पूरे देश में फैलाया जाएगा।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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