Wednesday, July 2, 2014

उपभोक्ता हित सर्वोपरि

राजमार्ग, वायुमार्ग, ऊर्जा और अपशिष्ट जल क्षेत्र 
राष्‍ट्रीय राजमार्ग अन्‍तर-सम्‍पर्कता सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के लिए भारत ने 50 करोड़ अम‍रीकी डॉलर की आईबीआरडी सहायता के लिए विश्‍व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये नागरि‍क उड्डयन मंत्रालय की उच्‍च प्राथमि‍कता में है, यात्रि‍यों से संबंधि‍त पहल +घरेलू एलपीजी/पीडीएस मिट्टी तेल, उपभोक्ताओं पर भार को कम करने के लिए उपाय +कृषि मंत्री ने आईएआरआई के पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल के अनुरूप नागरि‍क उड्डयन मंत्रालय ने यात्रि‍यों से संबंधि‍त कुछ बड़े मसलों की पहचान की है और उसे पूर्ण करने का बीड़ा उठाया है। इसका तात्‍पर्य है कि‍ यात्रि‍यों को श्रेष्ठ सुवि‍धा मि‍लेगी और लोगों के अनुरूप तंत्र बन सकेगा। इन पहल में शामि‍ल है:
1.      सभी भारतीय और वि‍देशी 'एयरलाइनों तथा एयरपोर्ट' परिचालकों से कहा गया है कि‍ वे विशेष कर वरि‍ष्‍ठ नागरि‍कों गर्भवती महि‍लाओं और अशक्‍त यात्रि‍यों की सुवि‍धा के लि‍ए वि‍शेष सुवि‍धाएं जैसे ऑटोमेटि‍क गाड़ि‍यों और छोटे 'हैंड बैगेज ट्राली' की व्‍यवस्‍था करे। इसके लि‍ए कोई शुल्‍क नहीं लि‍या जाय।
2.      देश के सभी परिचालन हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ/ सुरक्षा सहायता केंद्र बनाने का नि‍र्णय लि‍या गया है।
3.      एयर इंडि‍या को कहा गया है कि‍ वह इंटरनेट से कराए जाने वाली बुकिंग की प्रक्रि‍या सरल करें और भुगतान और खो गए सामान के दामों का तेजी से समाधान हो सके।
4.      श्री अमरनाथ जी यात्रा के लि‍ए हेलीकॉप्‍टर सेवा प्रदान करने वाले से कहा गया है कि‍ वह श्रद्धालुओं के लि‍ए हेलीपेड पर कुछ मुलभुत सुवि‍धा जैसे पीने का पानी, चाय कॉफी और मूंगफली और सूखे मैवे जैसे स्‍नैक्‍स की व्‍यवस्‍था नि‍:शुल्‍क करे। यह यात्रा 28 जून से शुरू हो गई है।
5.      डीजीसीए हर शुक्रवार को दोपहर बाद 2:00 बजे से 5:00 बजे तक जन्‍म मि‍त्र दि‍वस का अयोजन करेगा, जि‍समें कोई भी व्‍यक्‍ति‍ बि‍ना पूर्वानुमति‍ के डीजीसीए के अधि‍कारि‍यों से मि‍ल सकेंगे।
इसके अतिरिक्त भी कुछ व्‍यवस्‍था की गई है, जो कि‍ भारतीय वि‍मानपत्‍तन प्राधि‍करण और महानि‍देशक नागरि‍क उड्डयन (डीजीसीए) से संबंधि‍त है।
भारत सरकार तथा विश्‍व बैंक ने आज यहां राष्‍ट्रीय राजमार्ग अन्‍तर-सम्‍पर्कता सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के लिए, 50 करोड़ अम‍रीकी डॉलर की आईबीआरडी सहायता के लिए, विश्‍व बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये है। भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्‍त सचिव श्री नीलाया मिताश तथा भारत में विश्‍व बैंक के संचालन सलाहकार माइकल हैनी ने विश्‍व बैंक की ओर से समझौते पर हस्‍ताक्षर किये। 
इस परियोजना का उद्देश्‍य कम विकसित राज्‍यों के साथ राष्‍ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क सम्‍पर्कता में सुधार करना तथा राजमार्ग नेटवर्क के उत्तम संचालन के लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की संस्‍थागत क्षमता बढ़ाना है। परियोजना के अन्‍तर्गत कम आय वाले राज्‍यों ( बिहार, उड़ीसा तथा राजस्‍थान) व दो मध्‍य आय वाले राज्‍य (कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल) के कम विकास वाले क्षेत्रों में, राष्‍ट्रीय राजमार्ग की वर्तमान लगभग एक हजार एक सौ बीस किलोमीटर एकल/मध्‍यवर्ती लेन का उन्‍नयन करना शामिल है। इस सम्‍पूर्ण परियोजना का आकार 114.605 करोड़ अमरीकी डॉलर है। 
सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार इस परियोजना की कार्यान्‍वयन संस्था है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज), प्रवेश कर, चुंगी, ,वैट पर इनपुट कर, संबंधी प्रतिबंधों जैसी उगाहियों के कारण, कुछ राज्य विशिष्ट लागतें (एसएससी) वहन करती हैं, जो ओएमसीज के लिए वसूली योग्य नहीं होती हैं। 
यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुछ भारतीय राज्यों की राजस्व संबंधी मांगें, पूरे देश के उपभोक्ताओं के लिए भार नहीं बन जाएं, सरकार ने ऐसे करों को वसूल करने वाले राज्य/नगरपालिका क्षेत्र के उपभोक्ताओं से, गैर वसूली योग्य उगाहियों की भरपाई के लिए 24 जुलाई 2012 को राज्य‍ विशिष्ट लागतों की, एक योजना आरम्भ की थी। 
इस योजना के अनुसार, ओएमसीज उन 12 राज्यों के संबंध में पीडीएस मिट्टी तेल और घरेलू एलपीजी सहित संवेदनशील पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा बिक्री मूल्यू (आरएसपी) में तिमाही आधार पर संशोधन कर रही थीं, जहां ऐसे राज्य विशिष्ट कर वहन किए जा रहे थे। इन राज्यों में नवीनतम संशोधन जुलाई 2014 में किया जाना था।
इन संशोधनों से, कुछ राज्यों में घरेलू एलपीजी के खुदरा बिक्री मूल्य में वृद्धि हो जानी थी, अर्थात केरल: 4.50 रूपए प्रति सिलेंडर, कर्नाटक: 3.0 रूपए प्रति सिलेंडर, मध्य प्रदेश: 5.50 रूपए प्रति सिलेंडर और उत्तर प्रदेश: 1 रूपया प्रति सिलेंडर और साथ ही कुछ राज्यों में इसमें कमी हो जाती अर्थात असम: 9.50 रूपए प्रति सिलेंडर, बिहार: 1.50 रूपए प्रति सिलेंडर और महाराष्ट्र : 3.00 रूपए प्रति सिलेंडर।
एसएससी योजना से, पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में महाराष्ट्र में 0.11 रूपए प्रति लीटर से लेकर, नवी मुम्बई में 1.32 रूपए प्रति लीटर तक कमी और हरियाणा और उत्तर प्रदेश में क्रमश: 2 पैसे और 8 पैसे की मामूली वृद्धि हो जाती।
सरकार के लिए उपभोक्ताओं का हित सर्वोपरि है और इसलिए एसएससी के संशोधन के कारण घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में हुई वृद्धि के किसी भी प्रभाव से, उपभोक्ताडओं को बचाने का निर्णय लिया है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि उन उपभोक्ताओं के लिए घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में संशोधन को, राज्यक सरकारों के साथ राज्य विशिष्ट लागत योजना के संबंध में विचार-विमर्श पूरा होने तक, नहीं किया जाएगा, जिन उपभोक्ता‍ओं के लिए घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के संबंध में एसएससी में वृद्धि हुई थी। तथापि, उपभोक्ताओं के हित में घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्यों में कमी का लाभ, जहां भी लागू हो, सरकार द्वारा एसएससी योजना की समीक्षा किए जाने तक बना रहेगा। 
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां आईएआरआई के जल प्रौद्योगिकी केन्द्र में पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री डॉ संजीव कुमार बालयान, आईसीएआर के निदेशक एस अय्यप्पन और आईएआरआई के निदेशक डॉ एच एस गुप्ता भी उपस्थित थे। 
आईएआरआई का जल प्रौद्योगिकी केन्द्र (डब्ल्यूटीसी) मुख्य रूप से कृषि के क्षेत्र में जल संसाधनों के प्रभावकारी उपयोग के काम में लगा है। इसने अपने दिल्ली परिसर में एक पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र विकसित किया है। यह संयंत्र 1.42 हेक्टेयर में फैला है और कृषि कुंज कॉलोनी से प्राप्त 22 लाख लीटर अपशिष्ट जल का उपचार करने में सक्षम है। इस पर लगभग 1.2 करोड़ रुपए की लागत आई है और आईएआरआई के 330 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई हो पाती है। पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (ई-एसटीपी) के तीन उपचार प्रकोष्ठ हैं और प्रत्येक की लंबाई 80 मीटर और चौडाई 40 मीटर है। 
इस संयंत्र की उल्लेखनीय विशेषता यह है कि पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र की तुलना में इससे पर्यावरण पर 33 गुना कम प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि इसके द्वारा उपचारित जल में टर्बीडिटी, बीओडी, नाइट्रेट, फॉस्फेट, आयरन, निकेल और सल्फेट की काफी कम मात्रा पाई जाती है। 
पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार प्रणालियों की तुलना में आईएआरआई की अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकी में केवल 01% ऊर्जा का उपयोग होता है और इसमें रासायनिक पदार्थ का उपयोग बिल्कुल नहीं होता है, साथ ही इसमें चिपचिपा पदार्थ या कीचड़ बिल्कुल भी नहीं बनता है और उपचार पर आने वाली लागत में 50-60% की कमी हो जाती है। इसमें कुशल कामगारों की भी आवश्यकता नहीं होती है। जैविक कचरे के उपयोग द्वारा इसके एक एकीकृत व्यावसायिक प्रारूप में परिणत होने की काफी संभावना है। इसलिए इसे ‘कचरे से नगदी’ नामक व्यावसायिक प्रारूप के नाम से जाना जाता है। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

No comments:

Post a Comment

कृप्या प्रतिक्रिया दें, आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्व पूर्ण है | इस से संशोधन और उत्साह पाकर हम आपको श्रेष्ठतम सामग्री दे सकेंगे |
ब्लॉग लेखन के इच्छुक, टिप्पणी में स्पष्ट कहें तथा ई मेल बतायें। धन्यवाद -तिलक संपादक, 9911111611, 7531949051.