Wednesday, July 9, 2014

नए आर्थिक सुधार

वर्ष 2013-14 के मध्य थोक मूल्‍य सूचकांक घटकर 5.98% होने के संकेत खाद्य स्‍फीति ऊंची रही थोक एवं खुदरा मूल्‍य स्‍थिति में कमी के आसार +नकारात्मक बाजार दिशा को रोकने के लिए अनावश्यक आयातों पर प्रतिबंध विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 16 राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) 

केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज लोकसभा में प्रस्तुत किए गए आर्थिक सर्वेक्षण-2013-14 में बताया गया है कि वर्ष की पहली तिमाही में देश के भारी व्यापार घाटे, नकारात्मक बाजार अनुमानों से विदेशी संस्थागत विनिवेशकों के निवेश ऋण खंड में तेजी से वाह्य प्रवाह होने के कारण, मई, 2013 और अगस्त, 2013 के मध्य रुपए का 13% अवमूल्यन हुआ है। सरकार ने सोने जैसे अनावश्यक निर्यातों पर प्रतिबंध और सोना और चांदी पर 10% जैसा उच्च सीमा शुल्क लगाकर और अर्द्ध-संप्रभुता बॉण्‍ड द्वारा तथा विदेशी व्‍यापारिक ऋणों को उदार बनाकर, पूंजी प्रवाह बढ़ाने जैसे कदमों के द्वारा, स्थिति को ठीक करने के प्रयास किये है। भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी जमा (बैंकों) (एफसीएनआर(बी))और बैंकों के विदेशी ऋणों के लिए विशेष श्रेणी खिड़की स्‍थापित की थी, जिसके द्वारा 34 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि जुटाई गई थी। एक पक्षीय प्रवाह से रूपए की नकारात्‍मक बाजार दिशा को रोकने के साथ-साथ बीओपी स्थिति में सुधार आया है, जिससे विनिमय दर और आरक्षित निधि में स्थिति सुधरी है। 
विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पहले ही 16 राष्ट्रीय निवेश और निर्माण क्षेत्र (ज़ोन) बनाने की घोषणा की है। राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) का उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की 25% की भागीदारी को बढ़ाना और एक दशक में 100 मिलियन नौकरियों का सृजन करना है। एनएमपी से विशेष रुप से राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) के सृजन के द्वारा समूहों और एकत्रीकरण को बढ़ावा दिया जाता है। 2013-14 तक 16 एनआईएमजेड स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें से आठ दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) पर लगाए गए हैं। इनके अतिरिक्त आठ अन्य एनआईएमजेड के लिए सैद्धांतिक रुप से अनुमति दे दी गई है, यह है – (1) महाराष्ट्र में नागपुर (2) आंध्र प्रदेश में चित्तूर (3) आंध्र प्रदेश में मेडक (अब तेलंगाना में) (4) आंध्र प्रदेश में प्रकाशम (5) कर्नाटक में तुमकुर (6) कर्नाटक में कोलार (7) कर्नाटक में बिदर और (8) कर्नाटक में गुलबर्गा। 

भारत और जापान के बीच दिसंबर, 2006 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) का अनुपालन करते हुए डीएमआईसी परियोजना आरम्भ की गई। यह परियोजना उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के साथ ही रेलवे के 'पश्चिम समर्पित सामान गलियारे' वेस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर तक फैली है। 2008 में शुरू की गई डीएमआईसी विकास निगम (डीएमआईसीडीसी), परियोजना के लिए क्रियान्वयन संस्था है। उत्तर प्रदेश में दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र को छोड़कर सभी स्थान के लिए महायोजना तैयार हो चुकी है और राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत भी कर ली गई है। विभिन्न राज्यों में नये औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भूमि अधिग्रहण और विकास के लिए पहली परियोजनाओं की पहचान कर ली गई है तथा विभिन्न स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। डीएमआईसी ट्रस्ट ने नौ परियोजनाओं पर विनिवेश का निर्णय किया है और इन पर कार्रवाई डीएमआईसीडीसी ने पहले ही आरम्भ कर दी है। 
चेन्नई-बैंगलुरू-चित्रदुर्गा औद्योगिक गलियारा (कॉरीडोर) (प्राय: 560 किलोमीटर) से कर्नाटक, आंघ्र प्रदेश और तमिलनाडु को लाभ मिलेगा। जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संस्था (जेआईसीए) के अध्ययन दल ने चेन्नई-बैंगलुरू औद्योगिक कॉरीडोर (सीबीआईसी) के समेकित महायोजना के लिए प्राथमिक अध्ययन किया है। 
आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में कहा गया है कि गत 2 वर्षों के मध्य औसत थोक मूल्‍य सूचकांक के वर्ष 2013-14 के मध्य तीन वर्ष में घटकर 5.98% होने के संकेत हैं। यद्य‍पि‍ उपभोक्‍ता मूल्‍य स्‍फीति थोक मूल्‍य सूचकांक से अधिक है, किंतु इसने वर्ष 2013-14 में 10.21% से घटकर वित्तीय वर्ष 2013-14 में 9.49 होने के संकेत दिए है। तथापि, खाद्य स्‍फीति तीसरी तिमाही में वित्तीय वर्ष 2013-14 के मध्य ऊंची रही है। 
उच्‍च स्‍फीति, विशेषकर खाद्य स्‍फीति के पीछे संरचनागत के साथ-साथ मौसम के घटक प्रभावी रहे हैं। वस्‍तु उप-उत्‍पाद, ‘फल एवं सब्जियों’ के साथ-साथ ‘अण्‍डा, मांस एवं मछली के मूल्‍यों’ के खाद्य स्‍फीति को अधिक  बढ़ा दिया। 
गैर-खाद्य निर्माण उत्‍पादों में स्‍फीति वर्ष भर स्थिर रही, जो 2013-14 में चार वर्षों में 2.9% न्‍यून होकर औसत स्‍फीति पर रही, जो इस बात का घोतक है कि व्‍यापक आधार पर स्‍फीति के दवाबों में कमी आई है। 
अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने अधिकांश वैश्विक थोक मूल्‍यों के वर्ष 2014-15 के मध्य स्थिर रहने की संभावना जताई है, जो भारत सहित विकासशील देशों में आसन्‍न बाजार में स्‍फीति में राहत दे पाएगा। वर्ष 2014 के अन्‍त तक थोक मूल्‍य सूचकांक में सुधार की आशा है। 
भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार की स्थिरता के लौटने तथा जुलाई में अल्‍पकालिक ऋण ब्‍याज में वृद्धि एवं घरेलू मुद्रा बाजार की स्थिति में सुधार की बात कही है। विदेशी मुद्रा में सुधार के उपरान्‍त 20 सितम्‍बर 2013 की मध्‍य-तिमाही समीक्षा से, अपवाद स्‍वरूप उपायों को, सामान्‍य मुद्रा नीति संचालन के अनुरूप लाने के उपाय किए गए है। 
भारतीय रिजर्व बैंक में 28 जनवरी 2014 की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में, मुद्रा स्‍फीति के बड़े दुस्साहस के फलस्‍वरूप रेपो दर में 25 बी पी एस वृद्धि करके इसे 8% कर दिया है। 
नकदी की अत्‍यधिक खराब स्थिति को संभालने के दृष्टिगत भा.रि.बैं ने ओ एम ओ क्रय नीलामी, रातोंरात रेपो, एम एस एफ तथा विभिन्‍न दर तिमाही रेपो के माध्यम सुधार के उपाय किए हैं। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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