राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) की आम परिषद ने 2014-15 में तिलहन और दालों का उत्पादन बढ़ाने की योजना के लिए 2100 करोड़ रूपये स्वीकृत किये
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) की सामान्य परिषद ने 2014-15 के लिए विभिन्न राज्यों की कार्य योजनाओं को स्वीकृति दी है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की।
परिषद ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में दालों को एनएफएसएम कार्यक्रम के अधीन लाने को भी स्वीकृति दी। परिषद ने खाद्यान्न की तिलहन के साथ बारी- बारी से खेती करने को प्रदर्शित करने का भी अनुमोदन किया। यह अब तक मिशन की गतिविधियों का अंग नहीं था। ऐसा, तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया गया है।
सामान्य परिषद ने 2013-14 में एनएफएसएम के कार्य कौशल की समीक्षा की। इसके लिए महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडू ने एनएफएसएम में अपने प्रस्तुतिकरण किये।
केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने भारत में संकर चावल की खेती की संभावना और चावल के उत्पादन में इसकी भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत किेये। कृषि मंत्री ने निर्देश दिया कि धान उगाने वाले विभिन्न राज्यों में संकर बीज तैयार करने की संभावना का पता लगाया जाए। मंत्री महोदय ने देश के विभिन्न भागों के वर्षा-सिंचित क्षेत्रों में दालों के उत्पादन की संवर्धित तकनीकों का अधिक प्रदर्शन करने पर भी बल दिया।
मंत्री महोदय ने भूमि का परीक्षण करने और विशेषकर लघु और मझोले किसानों को भू-स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। इससे किसानों को खेती में पड़ने वाले अवयवों के बारे में निर्णय लेने में सहायता मिलेगी और परिणामस्वरूप उत्पादकता श्रेष्ठ और लागत संयमित होगी।
12 हजार 500 करोड़ रूपये की ट्रांसमिशन परियोजनाएं स्वीकृत
अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन लाइनों की उच्च क्षमताओं का तेजी से निर्माण करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने 12 हजार 500 करोड़ रूपये से अधिक लागत की नौ नई परियोजनाओं को अपनी स्वीकृति दे दी है।
इन ट्रांसमिशन परियोजनाओं से 765/400 किलोवॉट के नये सब-स्टेशनों के निर्माण के अतिरिक्त 2100 मेगावॉट तक ले जाने वाली 765 किलोवाट की उच्च क्षमता वाली लाइनों की उपलब्धता से हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे अनेक राज्यों को लाभ होगा। इन परियोजनाओं से एनटीपीसी के 660 मेगावॉट के सीपट, 1600 मेगावॉट गदरवाड़ा के केन्द्रीय उत्पादन स्टेशनों, सासन यूएमपीपी (1320 मेगावॉट) जैसे निजी क्षेत्र उत्पादन स्टेशनों से विद्युत भार कम करने में सहायता मिलेगी। उत्तरी ट्रांसमिशन प्रणाली को सुदृढ़ करके हरियाणा क्षेत्र में भी भीड़-भाड़ को कम किया जा सकेगा। इन परियोजनाओं को निजी क्षेत्र सहित सभी बोलीदाताओं से भागीदारी आमंत्रित करके, प्रतियोगी बोली प्रणाली आधारित दर सूची के माध्यम से विकसित किया जाएगा।
ये परियोजनाएं गत कई माह से सरकार की स्वीकृति प्रक्रिया में अटकी थीं। इन्हें लागू करने की स्वीकृति तुरंत दी गई है। आगामी तीन वर्षों में, कुल मिलाकर लगभग 28 हजार मेगावॉट की, अंतरक्षेत्रीय ट्रांसमिशन क्षमता जोड़ी जाएगी। जिससे 2017 तक कुल क्षमता बढ़कर 66 हजार मेगावॉट हो जाएगी।
राज्यों के श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने रोजगार के सृजन को सरकार की प्रथम प्राथमिकता बताया है। आज नई दिल्ली के स्कोप काम्पलैक्स में, राज्यों के श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की एक दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को रोजगार के अवसरों के साथ-साथ, समुचित एवं सुसंगत कौशल विकास के अवसर प्राप्त हो सकें, इस दिशा में सरकार रोजगार केंद्रों को, सम्भावना केंद्रों में परिवर्तित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। कौशल विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की घोषणा करते हुए, श्रम मंत्री ने रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा प्रस्तावित, नई पहलों का उल्लेख किया; इनमें अब तक न पहुंचे जा सके खंडों में, आईटीआई का विस्तार, आईटीआई के पाठ्यक्रम को अद्यतन किया जाना एवं पारंपरिक प्रशिक्षण को मान्यता देना शामिल है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाने तथा इसका विस्तार करने का कार्य शुरू किया है। श्रम, संविधान की समवर्ती सूची का विषय होने के कारण, केंद्र तथा राज्य सरकारें श्रम विधानों के साथ-साथ, श्रम कल्याण की नीतियों के क्रियान्वयन में समान रूप से भागीदार हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों का यह सामूहिक दायित्व है कि वे देश के 47 करोड़ मजदूरों की पहचान, चिन्हीकरण तथा पंजीकरण के कार्य को सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार श्रमिकों की पहचान, चिन्हीकरण तथा पंजीकरण अनिवार्य है, उसी प्रकार सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाएं, उन तक पहुंचाना हमारा दायित्व है।
केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम का कार्यान्वयन, एक अन्य क्षेत्र है, जिनमें राज्यों के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने भारत सरकार के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा, वैश्विक खाता (यू अ) जारी किए जाने की पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे प्रवासी तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित समस्त श्रमिक वर्ग को इस सेवा का लाभ मिल सकेगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक का उद्देश्य राज्यों के साथ श्रम जगत के पासंगिक मुद्दें, चिंताओं एवं चुनौतियों की चर्चा करते हुए केंद्र तथा राज्यों के स्तर पर की जा रही, नई पहल तथा सुझावों पर विचार-विमर्श हेतु मंच प्रदान करना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र एवं राज्य सरकारें साझा चुनौतियों पर गहन समरसता के साथ कार्य को आगे बढ़ा सकेंगी।
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई, इस एक दिवसीय बैठक में राज्यों के श्रम मंत्रियों के अतिरिक्त केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, विष्णु देव साय, श्रम एवं रोजगार सचिव, श्रीमती गौरी कुमार सहित राज्यों के श्रम सचिव एवं श्रम आयुक्त तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में मुख्य रूप से श्रम कानून, कौशल विकास तथा संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों के लिए सामाजिक सुरक्षा से संबंधित विधानों तथा योजनाओं पर, राज्यों द्वारा विस्तृत प्रस्तुतीकरण किए गए।
ट्राई ने, दूरसंचार सेवाओं से ग्राहक संतुष्टि पर की गयी स्वतंत्र एजेंसी के सर्वेक्षण पर रिपोर्ट जारी की
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परिषद ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में दालों को एनएफएसएम कार्यक्रम के अधीन लाने को भी स्वीकृति दी। परिषद ने खाद्यान्न की तिलहन के साथ बारी- बारी से खेती करने को प्रदर्शित करने का भी अनुमोदन किया। यह अब तक मिशन की गतिविधियों का अंग नहीं था। ऐसा, तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया गया है।
सामान्य परिषद ने 2013-14 में एनएफएसएम के कार्य कौशल की समीक्षा की। इसके लिए महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडू ने एनएफएसएम में अपने प्रस्तुतिकरण किये।
केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने भारत में संकर चावल की खेती की संभावना और चावल के उत्पादन में इसकी भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत किेये। कृषि मंत्री ने निर्देश दिया कि धान उगाने वाले विभिन्न राज्यों में संकर बीज तैयार करने की संभावना का पता लगाया जाए। मंत्री महोदय ने देश के विभिन्न भागों के वर्षा-सिंचित क्षेत्रों में दालों के उत्पादन की संवर्धित तकनीकों का अधिक प्रदर्शन करने पर भी बल दिया।
मंत्री महोदय ने भूमि का परीक्षण करने और विशेषकर लघु और मझोले किसानों को भू-स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। इससे किसानों को खेती में पड़ने वाले अवयवों के बारे में निर्णय लेने में सहायता मिलेगी और परिणामस्वरूप उत्पादकता श्रेष्ठ और लागत संयमित होगी।
12 हजार 500 करोड़ रूपये की ट्रांसमिशन परियोजनाएं स्वीकृत
अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन लाइनों की उच्च क्षमताओं का तेजी से निर्माण करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने 12 हजार 500 करोड़ रूपये से अधिक लागत की नौ नई परियोजनाओं को अपनी स्वीकृति दे दी है।
इन ट्रांसमिशन परियोजनाओं से 765/400 किलोवॉट के नये सब-स्टेशनों के निर्माण के अतिरिक्त 2100 मेगावॉट तक ले जाने वाली 765 किलोवाट की उच्च क्षमता वाली लाइनों की उपलब्धता से हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे अनेक राज्यों को लाभ होगा। इन परियोजनाओं से एनटीपीसी के 660 मेगावॉट के सीपट, 1600 मेगावॉट गदरवाड़ा के केन्द्रीय उत्पादन स्टेशनों, सासन यूएमपीपी (1320 मेगावॉट) जैसे निजी क्षेत्र उत्पादन स्टेशनों से विद्युत भार कम करने में सहायता मिलेगी। उत्तरी ट्रांसमिशन प्रणाली को सुदृढ़ करके हरियाणा क्षेत्र में भी भीड़-भाड़ को कम किया जा सकेगा। इन परियोजनाओं को निजी क्षेत्र सहित सभी बोलीदाताओं से भागीदारी आमंत्रित करके, प्रतियोगी बोली प्रणाली आधारित दर सूची के माध्यम से विकसित किया जाएगा।
ये परियोजनाएं गत कई माह से सरकार की स्वीकृति प्रक्रिया में अटकी थीं। इन्हें लागू करने की स्वीकृति तुरंत दी गई है। आगामी तीन वर्षों में, कुल मिलाकर लगभग 28 हजार मेगावॉट की, अंतरक्षेत्रीय ट्रांसमिशन क्षमता जोड़ी जाएगी। जिससे 2017 तक कुल क्षमता बढ़कर 66 हजार मेगावॉट हो जाएगी।
राज्यों के श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने रोजगार के सृजन को सरकार की प्रथम प्राथमिकता बताया है। आज नई दिल्ली के स्कोप काम्पलैक्स में, राज्यों के श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की एक दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को रोजगार के अवसरों के साथ-साथ, समुचित एवं सुसंगत कौशल विकास के अवसर प्राप्त हो सकें, इस दिशा में सरकार रोजगार केंद्रों को, सम्भावना केंद्रों में परिवर्तित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। कौशल विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की घोषणा करते हुए, श्रम मंत्री ने रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा प्रस्तावित, नई पहलों का उल्लेख किया; इनमें अब तक न पहुंचे जा सके खंडों में, आईटीआई का विस्तार, आईटीआई के पाठ्यक्रम को अद्यतन किया जाना एवं पारंपरिक प्रशिक्षण को मान्यता देना शामिल है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाने तथा इसका विस्तार करने का कार्य शुरू किया है। श्रम, संविधान की समवर्ती सूची का विषय होने के कारण, केंद्र तथा राज्य सरकारें श्रम विधानों के साथ-साथ, श्रम कल्याण की नीतियों के क्रियान्वयन में समान रूप से भागीदार हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों का यह सामूहिक दायित्व है कि वे देश के 47 करोड़ मजदूरों की पहचान, चिन्हीकरण तथा पंजीकरण के कार्य को सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार श्रमिकों की पहचान, चिन्हीकरण तथा पंजीकरण अनिवार्य है, उसी प्रकार सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाएं, उन तक पहुंचाना हमारा दायित्व है।
केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम का कार्यान्वयन, एक अन्य क्षेत्र है, जिनमें राज्यों के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने भारत सरकार के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा, वैश्विक खाता (यू अ) जारी किए जाने की पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे प्रवासी तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित समस्त श्रमिक वर्ग को इस सेवा का लाभ मिल सकेगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक का उद्देश्य राज्यों के साथ श्रम जगत के पासंगिक मुद्दें, चिंताओं एवं चुनौतियों की चर्चा करते हुए केंद्र तथा राज्यों के स्तर पर की जा रही, नई पहल तथा सुझावों पर विचार-विमर्श हेतु मंच प्रदान करना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र एवं राज्य सरकारें साझा चुनौतियों पर गहन समरसता के साथ कार्य को आगे बढ़ा सकेंगी।
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई, इस एक दिवसीय बैठक में राज्यों के श्रम मंत्रियों के अतिरिक्त केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, विष्णु देव साय, श्रम एवं रोजगार सचिव, श्रीमती गौरी कुमार सहित राज्यों के श्रम सचिव एवं श्रम आयुक्त तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में मुख्य रूप से श्रम कानून, कौशल विकास तथा संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों के लिए सामाजिक सुरक्षा से संबंधित विधानों तथा योजनाओं पर, राज्यों द्वारा विस्तृत प्रस्तुतीकरण किए गए।
ट्राई ने, दूरसंचार सेवाओं से ग्राहक संतुष्टि पर की गयी स्वतंत्र एजेंसी के सर्वेक्षण पर रिपोर्ट जारी की
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण-ट्राई ने स्वतंत्र संस्थाओं के माध्यम से सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जा रही, सेवाओं की गुणवत्ता के मूल्यांकन तथा ग्राहक संतुष्टि, पर सर्वेक्षण कराया है और (i) ग्राहक के हित में ट्राई द्वारा क्रियान्वयन और विभिन्न नियमों, निर्देशों और आदेशों के प्रभाव का आकलन, (ii) अक्तूबर 2013 से मार्च 2014 के बीच सर्वेक्षण के द्वारा दूरसंचार सेवाओं के बारे में ग्राहकों की अवधारणा का आकलन करने का प्रयास किया गया। यह सर्वेक्षण हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश पश्चिम, उत्तर प्रदेश पूर्व, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और मुंबई के सेवा क्षेत्रों में कराया गया है।
सेवा मापदंडों की गुणवत्ता पर सर्वेक्षण
सर्वेक्षण की पद्धति के अनुसार नियमों में निर्दिष्ट गुणवत्ता सेवाओं से संबंधित सात मापदंडों पर ग्राहक अवधारणा का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण प्रश्नावली तैयार की गयी है।
· सेवाओं का प्रावधान
· बिलिंग प्रदर्शन
· ग्राहक शिकायत निवारण सहित सहायता सेवाएं
· नेटवर्क प्रदर्शन, विश्वसनीयता और उपलब्धता
· अनुरक्षणीयता अर्थात रख-रखाव की योग्यता
· पूरक और मूल्य वर्धित सेवाएं
· कुल मिलाकर सेवा गुणवत्ता
ग्राहको की संतुष्टि का मूल्याकंन एक से लेकर सात बिन्दु के स्तर पर किया गया, जिसमें चार से लेकर सात का मूल्याङ्कन ग्राहक संतुष्टि को दिखाता है, जबकि चार से नीचे का, ग्राहक की असंतुष्टि को प्रदर्शित करता है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि संतुष्टि का स्तर क्षेत्र से क्षेत्र और सेवा प्रदाता से सेवा प्रदाता के साथ बदलता रहता है।
विभिन्न नियमों वाले ग्राहक केन्द्रित प्रावधानों का सर्वेक्षण
शिकायतों के निवारण तंत्र, मोबाइल नम्बर और यूसीसी नियमों के क्रियान्वयन के बारे में जागरूकता से संबंधित, नियमों के प्रभाव के आकलन के लिए कई मानकों के तहत, विभिन्न बिन्दुओं पर सर्वेक्षण कराया गया था। सर्वेक्षण के परिणामों से पता चलता है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अपने ग्राहकों को विभिन्न शिकायत निवारण तंत्र के बारे में जागरूक करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें ग्राहक संतुष्टि में सुधार के लिए अपील प्राधिकरण के बारे में भी जागरूक करना शामिल है।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
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