Wednesday, July 9, 2014

नए आर्थिक सुधार

वर्ष 2013-14 के मध्य थोक मूल्‍य सूचकांक घटकर 5.98% होने के संकेत खाद्य स्‍फीति ऊंची रही थोक एवं खुदरा मूल्‍य स्‍थिति में कमी के आसार +नकारात्मक बाजार दिशा को रोकने के लिए अनावश्यक आयातों पर प्रतिबंध विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 16 राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) 

केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज लोकसभा में प्रस्तुत किए गए आर्थिक सर्वेक्षण-2013-14 में बताया गया है कि वर्ष की पहली तिमाही में देश के भारी व्यापार घाटे, नकारात्मक बाजार अनुमानों से विदेशी संस्थागत विनिवेशकों के निवेश ऋण खंड में तेजी से वाह्य प्रवाह होने के कारण, मई, 2013 और अगस्त, 2013 के मध्य रुपए का 13% अवमूल्यन हुआ है। सरकार ने सोने जैसे अनावश्यक निर्यातों पर प्रतिबंध और सोना और चांदी पर 10% जैसा उच्च सीमा शुल्क लगाकर और अर्द्ध-संप्रभुता बॉण्‍ड द्वारा तथा विदेशी व्‍यापारिक ऋणों को उदार बनाकर, पूंजी प्रवाह बढ़ाने जैसे कदमों के द्वारा, स्थिति को ठीक करने के प्रयास किये है। भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी जमा (बैंकों) (एफसीएनआर(बी))और बैंकों के विदेशी ऋणों के लिए विशेष श्रेणी खिड़की स्‍थापित की थी, जिसके द्वारा 34 बिलियन अमरीकी डॉलर की राशि जुटाई गई थी। एक पक्षीय प्रवाह से रूपए की नकारात्‍मक बाजार दिशा को रोकने के साथ-साथ बीओपी स्थिति में सुधार आया है, जिससे विनिमय दर और आरक्षित निधि में स्थिति सुधरी है। 
विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पहले ही 16 राष्ट्रीय निवेश और निर्माण क्षेत्र (ज़ोन) बनाने की घोषणा की है। राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) का उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की 25% की भागीदारी को बढ़ाना और एक दशक में 100 मिलियन नौकरियों का सृजन करना है। एनएमपी से विशेष रुप से राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) के सृजन के द्वारा समूहों और एकत्रीकरण को बढ़ावा दिया जाता है। 2013-14 तक 16 एनआईएमजेड स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें से आठ दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) पर लगाए गए हैं। इनके अतिरिक्त आठ अन्य एनआईएमजेड के लिए सैद्धांतिक रुप से अनुमति दे दी गई है, यह है – (1) महाराष्ट्र में नागपुर (2) आंध्र प्रदेश में चित्तूर (3) आंध्र प्रदेश में मेडक (अब तेलंगाना में) (4) आंध्र प्रदेश में प्रकाशम (5) कर्नाटक में तुमकुर (6) कर्नाटक में कोलार (7) कर्नाटक में बिदर और (8) कर्नाटक में गुलबर्गा। 

भारत और जापान के बीच दिसंबर, 2006 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) का अनुपालन करते हुए डीएमआईसी परियोजना आरम्भ की गई। यह परियोजना उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के साथ ही रेलवे के 'पश्चिम समर्पित सामान गलियारे' वेस्टन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर तक फैली है। 2008 में शुरू की गई डीएमआईसी विकास निगम (डीएमआईसीडीसी), परियोजना के लिए क्रियान्वयन संस्था है। उत्तर प्रदेश में दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र को छोड़कर सभी स्थान के लिए महायोजना तैयार हो चुकी है और राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत भी कर ली गई है। विभिन्न राज्यों में नये औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भूमि अधिग्रहण और विकास के लिए पहली परियोजनाओं की पहचान कर ली गई है तथा विभिन्न स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। डीएमआईसी ट्रस्ट ने नौ परियोजनाओं पर विनिवेश का निर्णय किया है और इन पर कार्रवाई डीएमआईसीडीसी ने पहले ही आरम्भ कर दी है। 
चेन्नई-बैंगलुरू-चित्रदुर्गा औद्योगिक गलियारा (कॉरीडोर) (प्राय: 560 किलोमीटर) से कर्नाटक, आंघ्र प्रदेश और तमिलनाडु को लाभ मिलेगा। जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संस्था (जेआईसीए) के अध्ययन दल ने चेन्नई-बैंगलुरू औद्योगिक कॉरीडोर (सीबीआईसी) के समेकित महायोजना के लिए प्राथमिक अध्ययन किया है। 
आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में कहा गया है कि गत 2 वर्षों के मध्य औसत थोक मूल्‍य सूचकांक के वर्ष 2013-14 के मध्य तीन वर्ष में घटकर 5.98% होने के संकेत हैं। यद्य‍पि‍ उपभोक्‍ता मूल्‍य स्‍फीति थोक मूल्‍य सूचकांक से अधिक है, किंतु इसने वर्ष 2013-14 में 10.21% से घटकर वित्तीय वर्ष 2013-14 में 9.49 होने के संकेत दिए है। तथापि, खाद्य स्‍फीति तीसरी तिमाही में वित्तीय वर्ष 2013-14 के मध्य ऊंची रही है। 
उच्‍च स्‍फीति, विशेषकर खाद्य स्‍फीति के पीछे संरचनागत के साथ-साथ मौसम के घटक प्रभावी रहे हैं। वस्‍तु उप-उत्‍पाद, ‘फल एवं सब्जियों’ के साथ-साथ ‘अण्‍डा, मांस एवं मछली के मूल्‍यों’ के खाद्य स्‍फीति को अधिक  बढ़ा दिया। 
गैर-खाद्य निर्माण उत्‍पादों में स्‍फीति वर्ष भर स्थिर रही, जो 2013-14 में चार वर्षों में 2.9% न्‍यून होकर औसत स्‍फीति पर रही, जो इस बात का घोतक है कि व्‍यापक आधार पर स्‍फीति के दवाबों में कमी आई है। 
अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने अधिकांश वैश्विक थोक मूल्‍यों के वर्ष 2014-15 के मध्य स्थिर रहने की संभावना जताई है, जो भारत सहित विकासशील देशों में आसन्‍न बाजार में स्‍फीति में राहत दे पाएगा। वर्ष 2014 के अन्‍त तक थोक मूल्‍य सूचकांक में सुधार की आशा है। 
भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार की स्थिरता के लौटने तथा जुलाई में अल्‍पकालिक ऋण ब्‍याज में वृद्धि एवं घरेलू मुद्रा बाजार की स्थिति में सुधार की बात कही है। विदेशी मुद्रा में सुधार के उपरान्‍त 20 सितम्‍बर 2013 की मध्‍य-तिमाही समीक्षा से, अपवाद स्‍वरूप उपायों को, सामान्‍य मुद्रा नीति संचालन के अनुरूप लाने के उपाय किए गए है। 
भारतीय रिजर्व बैंक में 28 जनवरी 2014 की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में, मुद्रा स्‍फीति के बड़े दुस्साहस के फलस्‍वरूप रेपो दर में 25 बी पी एस वृद्धि करके इसे 8% कर दिया है। 
नकदी की अत्‍यधिक खराब स्थिति को संभालने के दृष्टिगत भा.रि.बैं ने ओ एम ओ क्रय नीलामी, रातोंरात रेपो, एम एस एफ तथा विभिन्‍न दर तिमाही रेपो के माध्यम सुधार के उपाय किए हैं। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।

Tuesday, July 8, 2014

मूल्‍य वृद्धि और रेल बजट भाषण का सार

रेल मंत्री डी. वी. सदानन्‍द गौड़ा के भाषण का सार 
+ आवश्‍यक वस्‍तुओं की मूल्‍य वृद्धि रोकने के उपाए +राष्‍ट्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मि‍शन के अधीन 2014-15 में 180 करोड़ रुपये आवंटित
आवश्‍यक वस्‍तुओं की मूल्‍य वृद्धि रोकने के लिए सरकार ने हाल में निम्‍नलि‍खित उपाय किए हैं: 
• गेहूं, प्‍याज, दालों के लिए आयात शुल्‍क घटाकर शून्‍य किया गया। 
• खाद्य तेल (नारियल का तेल, वनोपज आधारित तेल 1500 डॉलर प्रति टन के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य वाले 5 किलो के मिश्रित उपभोक्‍ता पैक को छोड़कर) तथा दालों (काबूली चना, ऑर्गेनिक दालों एवं लेंटिल- 10 हजार टन प्रतिवर्ष अधिकतम को छोड़कर) के निर्यात पर प्रतिबंध। 
• दालों, खाद्य तेलों तथा खाद्य तिलहन जैसी च‍यनित आवश्‍यक वस्तुओं के मामले में समय-समय पर 30-9-2014 तक की अवधि के लिए भंडार रखने की सीमाएं लागू की हैं। • चावल, उड़द और अरहर में भावी कारोबार को निलंबित रखना। 
• तिलहन और खाद्य तेलों के उत्‍पादन बढ़ाने के लिए 12वीं पंचवषर्यी योजना के मध्य तेल के बीजऔर ताड के तेल राष्‍ट्रीय मिश्‍न लागू किया जा रहा है। इससे तिलहनों के उत्‍पादन और उसकी खपत के बीच की खाई को पाटने में सहायता मिलेगी। 
यह सूचना उपभोक्‍ता मामले खाद एवं जनवितरण राज्‍य मंत्री राव साहब पाटिल दानवे ने लोकसभा में एक लिखित उत्‍तर में दी। 
वर्ष 2014-15 के मध्य खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों के उन्‍नयन/ संस्‍थापन / आधुनिकीकरण सहित राष्‍ट्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मिशन के लिए विभिन्न राज्‍यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को 180 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। सर्वाधिक आवंटन प्राप्‍त करने वाले पांच राज्‍यों में उत्‍तर प्रदेश (16.43 करोड़ रुपये), महाराष्‍ट्र (13.36 करोड़ रुपये), राजस्‍थान (11.84 करोड़ रुपये), मध्‍य प्रदेश (11.40 करोड़ रुपये) और आंध्र प्रदेश (11.38 करोड़ रुपये) शामिल हैं। प्रत्‍येक राज्‍य/ केंद्रशासित प्रदेश में यह धन खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योगों के उन्‍नयन/संस्‍थापन /आधुनिकीकरण की प्रौद्योगिकी योजना सहित राष्‍ट्रीय खाद्य प्रसंस्‍करण मिशन के लिए है, जिसके अधीन इच्‍छुक उद्यमियों द्वारा देश में खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयां स्‍थापित की जा सकती हैं। 
उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण 2011-12 के अनुसार देश में 36,881 पंजीकृत खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयां थीं। कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग राज्‍यमंत्री डॉ. संजीव कुमार बालयान ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में यह जानकारी दी। 
रेल मंत्री डी.वीसदानंद गौड़ा ने आज संसद में वर्ष 2014-15 का रेल बजट प्रस्‍तुत किया। रेल मंत्री के भाषण का सार इस प्रकार है :- 
‘’अध्‍यक्ष महोदया,
            मैं सम्‍मानित सदन के समझ वर्ष 2014-15 के लिए रेलवे की अनुमानित आय और व्‍यय का विवरण प्रस्‍तुत कर रहा हूं। मुझे गणतंत्र के इस मंदिर में खड़े होने का अवसर प्राप्‍त हुआ है और मैं देश की जनता का आभारी हूं जिन्‍होंने अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें यहां चुनकर भेजा है।
      मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का आभारी हूं जिन्‍होंने मुझ में विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है और भारतीय रेलवे का नेतृत्‍व करने का बड़ा दायित्व मुझे सौंपा है। मैं इस दायित्व  को पूरा करने का वादा करता हूं और न केवल भारतीय रेल का नेतृत्‍व में एक प्रगतिशील भारत के निर्माण का हर संभव प्रयास करने का भी  वचन देता हूं। मुझे अपना प्रथम रेल बजट प्रस्‍तुत करते हुए अत्‍यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। भारतीय रेलदेश का अग्रणी वाहक होने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की नींव और आत्‍मा भी है। उत्‍तर में बारामूला से लेकर दक्षिण में कन्‍याकुमारी तक और पश्चिम में ओखा से लेकर पूर्व में लेखापानी तक देश के प्रत्‍येक नागरिक के दिलों में इसकी गूंज सुनाई देती है। अध्‍यक्ष महोदयाहम सभी जानते हैं कि भारतीय रेल सभी क्षेत्रोंवर्गों और सम्प्रदायों से परे है और इसमें एक लघु भारत यात्रा करता है। बेंगलूरू की गलियों के एक जनसामान्य से लेकर कोलकाता में मछली विक्रेताओं तथा चहल-पहल भरे निजामुद्दीन स्‍टेशन तकहर स्थान आपको इस देश का नागरिक भारतीय रेलवे से यात्रा करने के लिए उत्सुक मिलेगा।
माननीय अध्‍यक्ष महोदयायद्यपि मुझे पदभार ग्रहण किए हुए कठिनता से एक माह  हुआ हैमेरे पास माननीय संसद सदस्‍योंसरकार में मेरे सहयोगियोंराज्‍योंस्‍टेक होल्‍डरों, संगठनों और देश के विभिन्‍न कोनों से नई गाडि़योंनई रेल लाइनों और श्रेष्ठ सुविधाओं के लिए अनुरोधों और सुझावों की बाढ़-सी आ गई है। मैं जानता हूं कि हर कोई यह अनुभव करता है कि उनके पास उन सभी चुनौतियों का समाधान है, जिनका सामना भारतीय रेलवे कर रही हैइस विशाल संगठन की भारी जटिलताओं और समस्‍याओं से परिचित होने से पूर्व मेरी भी ऐसी धारणा थी। अब मैं रेल मंत्री के रूप में इन अपेक्षाओं को पूरा करने में अपने बड़े दायित्वों से अभिभूत हूं।
अध्‍यक्ष महोदयामुझे कौटिल्‍य के निम्‍नलिखित शब्‍दों का स्‍मरण होता है:
प्रजासुखे सुखं राज्ञप्रजानां च हिते हितम्।
नात्‍मप्रियं हितं राज्ञप्रजानां तु प्रियं हितम्।
जनता की प्रसन्नता में शासक की प्रसन्नता निहित होती है
उनका कल्‍याण उसका कल्‍याण होता है
जिस बात से शासक को प्रसन्नता होती है वह उसे ठीक नहीं समझेगा,
परन्‍तु जिस किसी बात से जनता प्रसन्नता होती है,
शासक उसे ठीक समझेगा।
-     कौटिल्‍य का अर्थशास्‍त्र
भारतीय रेल इस उपमहाद्वीप के 7172 से अधिक स्‍टेशनों को जोड़ते हुए प्रतिदिन 12617 गाडि़यों में 23 मिलियन से अधिक यात्रियों को ढोती है। यह प्रतिदिन ऑस्‍ट्रेलिया की संपूर्ण जनसंख्‍या को ढोने के बराबर है। हम 7421 से अधिक मालगाडियों में प्रतिदिन लगभग मिलियन टन माल ढोते हैं। अध्‍यक्ष महोदयाएक बिलियन टन माल यातायात से अधिक लदान कर चीनरूस और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की रेलों के (सेलेक्‍ट क्‍लब) चुने समूह में भारतीय रेल ने प्रवेश करने की उपलब्‍धि अर्जित की हैअब मेरा लक्ष्‍य विश्‍व में सबसे अग्रणी वाहक के रूप में उभरने का है।
   अध्‍यक्ष महोदयाजैसा आप जानती हैंभारतीय रेलयात्रियों को ढोने के अतिरिक्‍त कोयला भी ढोती है।  
यह स्‍टील की ढुलाई करती है
यह सीमेंट की ढुलाई करती है
यह नमक की ढुलाई करती है
यह खाद्यान्‍नों और चारे की ढुलाई करती है
और यह दूध की भी ढुलाई करती है
इस प्रकारभारतीय रेल व्‍यावहारिक रूप से सभी की ढुलाई करती है और यह किसी भी वस्‍तु को ना नहीं करती है, यदि उसे मालडिब्‍बे में ढोया जा सकता हो। सबसे महत्‍वपूर्ण है कि हम रक्षा संगठन की आपू‍र्ति श्रृंखला की रीढ़ बनकर, राष्‍ट्र की सुरक्षा में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अध्‍यक्ष महोदया, जबकि हम प्रतिदिन 23 मिलियन यात्रियों को ढोते हैं, किन्तु अभी भी अधिक जनता ऐसी है, जिन्‍होंने अभी तक रेलगाड़ी में पैर तक नहीं रखा है। हम औद्योगिक समूहों को पत्‍तनों और खदानों से जोड़ते हुए, प्रतिवर्ष एक बिलियन टन से अधिक माल यातायात का लदान करते हैं, किन्तु अभी भी कई आतंरिक भाग, रेल संपर्क की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यद्यपि विगत वर्षों में माल यातायात व्‍यापार निरंतर बढ़ रहा हैभारतीय रेल देश में सभी साधनों से ढोए जाने वाले कुल माल यातयात का 31% को ही ढोती है। ये ऐसी चुनौतियां है, जिनका हमें सामना करना है।
विविध प्रकार के दायित्व निभाने वाले, इस प्रकार के विशाल संगठन से, एक वाणिज्‍यिक उद्यम के रूप में आय अर्जित करने के साथ, एक कल्‍याणकारी संगठन के रूप में भी कार्य करने की आशा की जाती है। ये दो कार्यरेलपथ की दो पटरियों के समान हैंजो हालांकि साथ-साथ चलती हैं किन्तु कभी मिलती नहीं हैं। अभी तक भारतीय रेल इन दो विरोधात्‍मक उद्देश्‍यों में संतुलन बनाते हुए इस कठिन कार्य को निभाती रही है।
2000-01 में सामाजिक सेवा-दायित्‍वसकल यातायात प्राप्‍ति‍यों के 9.4% से बढ़कर 2010-11 में 16.6% हो गया। 2012-13 में इस प्रकार का दायित्‍व 20,000 करोड़ रु.से भी अधिक हो गया। इस वर्ष का कुल निवेश अर्थात बजटीय स्रोतों के अंतर्गत योजना परिव्‍यय 35,241 करोड़ रु.था। इस प्रकार समाजिक दायित्‍व के बोझ की राशि, बजटीय स्रोतों के अंतर्गत हमारे योजना परिव्‍यय के आधे से भी अधिक है।
अध्‍यक्ष महोदयासामाजिक दायित्‍वों पर बजटीय स्रोतों के अंतर्गत अपने योजना परिव्‍यय के आधी से अधिक राशि व्यय करने वाला कोई भी संगठन, अपने विकास कार्यों के लिए कठिनता से ही पर्याप्‍त संसाधन जुटा सकता है।
तथापिअध्‍यक्ष महोदयाभारतीय रेल अपने सामाजिक दायित्‍वों को पूरा करती रहेगी किन्तु कार्यकुशलता तथा गाड़ी परिचालन की संरक्षा के साथ समझौता किए बिना, एक सीमा के बाद इन दो परस्‍पर विरोधी उद्देश्‍यों में संतुलन बनाए रखना संभव नहीं है।
हमारे पास 1.16 लाख किमीलंबाई का कुल रेलपथ, 63,870 यात्री डिब्‍बे, 2.4 लाख से अधिक माल डिब्‍बे और 13.1लाख कर्मचारी हैं। इसके लिए ईंधन वेतन और पेंशन, रेलपथ एवं यात्री डिब्‍बा अनुरक्षण और इससे भी अधिक महत्‍वपूर्ण संरक्षा संबंधी कार्य पर खर्च की आवश्‍यकता होती है। इन कार्यों पर सकल यातायात आय से होने वाली हमारी अधिकांश आय खर्च हो जाती है। वर्ष 2013-14 में सकल यातायात आय 1,39,558 करोड़ रूपये और कुल संचालन व 1,30,321 करोड़ थाजिसका परिचालन अनुपात लगभग 94% बनता है।
अध्‍यक्ष महोदयाइससे पता चलता है कि अर्जित किये गये प्रत्‍येक रूपये में से हम 94 पैसा परिचालन पर व्यय कर देते हैं। हमारे पास अधिशेष के रूप छह पैसा ही बचता है। यह राशि कम होने के अतिरिक्त, किरायों में संशोधन न किये जाने के कारण, इसमें निरंतर गिरावट आई है। अनिवार्यत: किए जाने वाले लाभांश और लीज़ प्रभारों के भुगतान के बाद वर्ष 2007-08 में यह अधिशेष 11,754 करोड़ रूपये था और वर्तमान वर्ष में 602 करोड़ रूपये होने का अनुमान है।
अध्‍यक्ष महोदयारेलों द्वारा इस प्रकार जुटाए गये इस बहुत ही कम अधिशेष द्वारा संरक्षणक्षमता बढ़ानेअवसंरक्षण, या‍त्री सेवाओं और सुख-सुविधाओं को श्रेष्ठ बनाने के लिए कार्यों को वित्‍तपोषित किया जाता है।
मात्र चालू परियोजनाओं के लिए 5 लाख करोड़ रूपये अर्थात प्रतिवर्ष लगभग 50,000 करोड़ रूपये अपेक्षित हैं। इससे अपेक्षित राशित अधिशेष के रूप में उपलब्‍ध राशि के बीच भारी अंतर आ जाता है।
यद्पि इस अंतर को काटने के लिए विवेकपूर्ण प्रयास किये जाने चाहिए थेपरन्‍तु जो भाड़ा नीति अपनाई गई, उसमें युक्तिसंगत दृटिकोण की कमी रही। यात्री किरायों को लागत से कम रखा गया और इस प्रकार पैसेंजर गाड़ी के परिचालन में हानि हुई। यह हानि बढ़ती रही जो 2000-01 ने प्रति पैसेंजर किलोमीटर 10 पैसे बढ़कर 2012-13 में 23 पैसे हो गई, क्‍योंकि यात्री किरायों को सदैव कम रखा गया।
दूसरी ओर मालभाड़ा दरों को समय-समय पर बढ़ाया और उन्‍हें अधिक रखा गया जिससे यात्री क्षेत्र में होने वाली हानि की प्रतिपूर्ति की जा सके। परिणामस्‍वरूप माल यातायात निरंतर रेलवे से छूटता गया। विगत 30 वर्षों में कुल माल यातायात में रेलवे का अंश निरंतर कम हुआ है। अध्‍यक्ष महोदया, यह उल्‍लेखनीय है कि कुल माल यातायात में रेलवे का अंश कम होनाराजस्‍व को हानि होने जैसा है।
अध्‍यक्ष महोदयायह बताने के बाद कि किस प्रकार राजस्‍व को गंवाया गया, अब मैं यह बताना चाहता हूं कि किस प्रकार निवेश में दिशाहीनता है।
परियोजनाओं को पूरा करने पर बल दिए जाने के बजाय, उन्‍हें स्‍वीकृत कर देने पर ध्‍यान दिया गया। गत 30 वर्षों के मध्य 1,57,883 करोड़ रूपए मूल्‍य की कुल 676 परियोजनाएं स्‍वीकृत की गईं, इनमें से केवल 317 परियोजनाओं को ही पूरा किया जा सका और शेष 359 परियोजनाओं को पूरा किया जाना शेष हैजिन्‍हें पूरा करने के लिए अब 1,82,000 करोड़ रूपए अपेक्षित होंगे।
गत 10 वर्षों में 60,000 करोड़ रूपय मूल्य की 99 नई लाइन परियोजनाओं को स्वीकृत किया गया, जिसमें से आज की दिनांक तक मात्र एक परियोजना को ही पूरा किया गया है। वास्‍तव में इसमें 4 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो 30 वर्ष तक पुरानी हैं, परन्‍तु वे किसी न किसी कारण से अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। जितनी अधिक परियोजनाओं को हम इसमें जोड़ देंगे हम उनके लिए उतना ही कम संसाधन उपलब्ध करा पाएंगे और उनहें पूरा करने में उतना समय भी लगेगा।
यदि यही प्रवति जारी रखी गयी तो मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि और अधिक हजारों करोड़ रूपए खर्च हो जाएंगे और इससे कठिनता से ही कोई प्रतिफल प्राप्‍त होगा।
अध्‍यक्ष महोदयाभारतीय रेलों की कभी न समाप्‍त होने वाली परियोजनाओं के बारे में बताने के बाद, अब मैं परियोजनाओं का चयन करने में किस प्रकार प्राथमिकता दी जाती हैउसका उल्‍लेख करता हूं। अति संतृप्‍त नेटवर्क में भीड़भाड़ को कम करने के लिए दोहरीकरण और तिहरीकरण के लिए किए जाने वाले निवेश से, रेलों को धन प्राप्‍त होता है। दूसरी ओर नई लाइनों का निर्माण करने से अधिकांशत: परिचालनिक लागत भी पूरी प्राप्‍त नहीं होती हैक्‍योंकि उसके अनुरूप मांग नहीं होती है।
गत 10 वर्षों में भारतीय रेल ने 3738 किलोमीटर नई लाइनों को बिछाने के लिए 41,000 करोड़ रूपए का निवेश किया है। दूसरी ओर इसने 5050 किलोमीटर के दोहरीकरण के लिए मात्र 18,400 करोड़ रूपए ही खर्च किए। यद्पि प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए यह प्राथमिकता वाला कार्य था।
संयोग सेमैं भारतीय रेल के बारे में किसी व्‍यक्ति द्वारा कही गई निम्‍नलिखित बात, को यहां उद्धृत करना चाहूंगा। मैं इसे तब तक नहीं समझ पाया, जब तक मुझे इन तथ्‍यों की जानकारी नहीं थीजिनका मैंने अभी तक उल्लेख किया है।  यह कथन इस प्रकार है:
‘’आपने ऐसे किसी व्‍यापार के बारे में नहीं सुना होगाजिसका एकाधिकार हो,
जिसका ग्राहक आधार लगभग 125 करोड़ हो,
जिसकी 100% बिक्री अग्रिम भुगतान पर होती हो,
और उसके बाद भी उसके पास धन का अभाव हो।‘’
अध्‍यक्ष महोदयाअब तक भारतीय रेल की यही कहानी रही है।
अध्‍यक्ष महोदयारेलवे द्वारा सामाजिक दायित्‍व का निर्वहन करना कोई मुद्दा नहीं है। परन्‍तु सामाजिक आवश्यकता के नाम पर लोक-लुभावन परियोजनाओं का चयन किया गयाजिनसे रेलवे को कठिनता से कोई राजस्‍व प्राप्‍त हुआ हो। सामाजिक दायित्‍व के नाम पर अलाभप्रद परियोजनाओं पर निवेश किया जाना जारी रहा। समग्रत: देखा जाए, तो कई वर्षों तक न तो इन परियोजनाओं से रेलवे को कोई प्रतिफल प्राप्‍त हुआ और न ही पूरी तरह से सामाजिक दायित्‍व ही पूरा हुआ।
इस त्रुटिपूर्ण प्रबंधन और उदासीनता से बहुत वर्षों से रेलवे धन के भारी आभाव का सामना कर रही है, ‘जो स्‍वर्णिम दुविधा के दशक’- वाणिज्यिक व्‍यवहार्यता और सामाजिक व्‍यवहार्यता के बीच चयन की दुविधा का परिणाम है।
अध्‍यक्ष महोदयामुझे पता है कि मेरे पूर्ववर्ती सम्‍मानित मंत्री भी इस अनिश्चितता की स्थिति से परिचित थे, परन्‍तु उनके द्वारा इन परियोजनाओं की घोषणा करते समय, सदन में बजने वाली तालियां सुनने से प्राप्‍त होने वाले नशे’ का, वे परित्‍याग न कर सके।
अध्‍यक्ष महोदयाकुछ नई परियोजनाओं की घोषणा करके, मैं भी इस सम्‍मानित सदन से तालियां पा सकता हूं, परन्‍तु यह कठिन स्थिति से गुजर रहे, इस संगठन के प्रति अन्‍याय करना होगा। मेरी इच्‍छा है कि रेल को स्थिति में सुधार लाकर, मैं वर्ष भर तालियां पाता रहूं।
भारतीय रेल की इस शोचनीय स्थिति को तत्‍काल ठीक किए जाने की आवश्‍यकता है। कुछ सुधारात्‍मक उपायोंजिनकी मैंने योजना बनाई हैमें एक उपाय किरायों में संशोधन का रहा। यह एक कठिन परन्‍तु आवश्यक निर्णय था। अध्‍यक्ष महोदयाजैसाकि कहा गया है कि
यत्‍तदग्रे विषमिव परिणामे अमृतोपमम्।
‘’दवा खाने में तो कड़वी लगती है
किन्तु उसका परिणाम मधुर होता है’’
इस किराया संशोधन से भारतीय रेल को लगभग 8000 करोड़ रूपए का अतिरिक्‍त राजस्‍व प्राप्‍त होगा। यद्यपि, स्‍वर्णिम चतुर्भुज नेटवर्क को पूरा करने के लिए, हमें 9 लाख करोड़ रूपए से  अधिक की और केवल एक बुलेट गाड़ी चलाने के लिए, लगभग 60,000 करोड़ रूपए की आवश्‍यकता है।
  • वर्ष 2014-15 में उन्‍नत संचालन अनुपात के माध्‍यम से रेलवे 1.64 लाख करोड़ रूपए अर्जित करेगा  
  • रेल बजट में सुधार की दिशा में उठाए गए अनेक कदम, लोक-लुभावन उपायों से बनाई दूरी  
  • लागत बढ़ने के बाद भी रेलवे सामाजिक सेवा दायित्‍व पूरे करने के लिए प्रतिबद्ध  
  • रेलवे आरक्षण प्रणाली में सुधार  
  • 18 नई लाइनों और दोहरीकरण, तीसरी लाइन, चौथी लाइन और आमान परिवर्तन परियोजनाओं के लिए 10 सर्वेक्षण  
  • पांच जनसाधारण, पांच प्रीमियम, छह वातानुकूलित एक्‍सप्रेस, 27 एक्‍सप्रेस, 8 पैसेंजर नई गाडि़यां और 2 मेमू तथा पांच डेमू सेवाएं  
  • रेल बजट में सामरिक प्रबंधन की आवश्‍यकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया  
  • खानपान सेवाओं में गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार पर बल  
  • रेल मंत्री डी. वी. सदानन्‍द गौड़ा के भाषण का सार  
  • कर्मचारियों के विचारों और अनुभव से लाभ उठाने के लिए अभिनव ऊष्मायन केन्द्र स्थापित किया जाएगा  
  • रेलगाड़ियों और स्टेशनों पर साफ-सफाई के लिए बजट में महत्वपूर्ण वृद्धि  
  • रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रू. की व्यवस्था  
  • यात्री सुविधाओं एवं स्टेशन प्रबंधन के लिए विशेष उपाय  
  • कागज़ रहित कार्यालय, मोबाइल आधारित नई सेवाएं और अगली पीढ़ी की टिकट आरक्षण प्रणाली, रेलवे की सूचना संबंधी पहल में शामिल  
  • बजट के समक्ष भारी धन की आवश्यकता और अधूरी परियोजनाओं की चुनौती  
  • वित्तीय निष्पादन 2013-14  
  • परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी से निपटने के लिए परियोजना प्रबंधन समूह का गठन किया जाएगा  
  • भारतीय रेल की भूमि परिसंपत्तियों का अंकरूपण (डिजिटाइजेशन)  
  • कर्मचारी हित निधि में अंशदान बढ़ाया जाएगा  
  • यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए उपाय  
  • रेलवे के लिए अधिक संसाधन जुटाने के प्रयास  
  • उपनगरीय यातायात को बढ़ावा, मुंबई के लिए दो वर्ष में 864 अतिरिक्‍त अत्‍याधुनिक ईएमयू गाडि़या  
  • घरेलू पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने के लिए रेल पर्यटन को प्रोत्‍साहन  
  • पूर्वोत्‍तर में रेल विस्‍तार के लिए 54% अधिक धनराशि का आबंटन  
  • रेलवे बोर्ड स्‍तर पर परियोजना प्रबंधन समूह की स्‍थापना  
  • कृषि उत्‍पादों के संचलन के लिए 10 स्‍थानों पर तापमान नियंत्रित भंडारण की सुविधा  
  • ऊर्जा संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा और बायो डीजल का उपयोग  
अध्‍यक्ष महोदयाक्‍या यह उचित होगा कि इन निधियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए किरायों और माल-भाड़ा की दरों में वृद्धि की जाए और उसका बोझ जनता पर डाला जाए। चूंकि यह अवास्‍तविक हैइसलिए इन निधियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए मुझे वैकल्पिक उपायों पर सोचना होगा।‘’
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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Monday, July 7, 2014

फैक्‍ट्री अधिनियम, रेल और ऊर्जा

कोयला उत्‍पादन का लक्ष्‍य
12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) तैयार करने के लिए कोयला एवं लिग्‍नाईट पर कार्य दल की रपट में योजनावधि के मध्य कोयला उत्‍पादन के लिए दो परिदृश्‍य दर्शाए गए हैं। सकारात्‍मक परिदृश्‍य के अनुसार 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक (2016-17) कोयले का उत्‍पादन 795 एमटीई तक पहुंचना, अ‍भिकल्‍पित था और व्यवसाय के अनुसार सामान्‍य परिदृश्‍य के चलते, इसके रक्षित ब्‍लॉकों से 100 एमटीई समेत उस वर्ष तक 715 एमटीई तक पहुंचने की संभावना थी। राज्‍यसभा में आज एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में ऊर्जा, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍यमंत्री-(स्‍वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल ने यह बात कही। 
मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि सकारात्‍मक परिदृश्‍य इस अनुमान पर आधारित था कि कोयले की खुदाई में तेजी आएगी, रेल संरचना तथा पर्यावरण एवं वन संबंधित अनुमति मिलने में प्रगति होगी। सरकार का ध्‍यान कोयला उत्‍पादन में वृद्धि की दिशा में सभी उपाय करने पर केंद्रि‍त है। 
सौर ऊर्जा का दोहन देश में 30-50 मेगावाट/ प्रतिवर्ग किलोमीटर छायारहित खुला क्षेत्र होने के बाद भी उपलब्‍ध क्षमता की तुलना में देश में सौर ऊर्जा का दोहन बहुत कम है (जो 31-5-2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है)। राज्‍यसभा में आज एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में पीयूष गोयल (बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍यमंत्री-स्‍वतंत्र प्रभार) ने यह बात कही। 
जवाहरलाल नेहरू राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मि‍शन के आरम्भ से केवल चार वर्ष पहले ही सौर ऊर्जा का दोहन किया जा रहा है, अत: इस उपल‍ब्‍धि‍ को कम सफलता के रूप में नहीं आंका जा सकता। सौर ऊर्जा निरंतर खर्चीली है और इस पर भारी निवेश की आवश्यकता पड़ती है। सौर ऊर्जा का स्‍वरूप अस्थिर है जिससे इसे ग्रिड में समायोजित करना कठिन होता है। 
ऊर्जा मंत्री ने आगे बताया कि लोगों की जागरुकता का अभाव, उच्‍च उत्‍पादन लागत तथा वर्तमान ऊर्जा को छोड़ने की सीमाएं एवं पारेषण(ट्रांसमशिन) नेटवर्क को देशभर में सौर ऊर्जा क्षमता के भरपूर दोहन की दि‍शा में मुख्‍य बाधा के रूप में माना गया है। 
रेल मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने आज यहां भारतीय रेल के लि‍ए सोशल मीडि‍या प्‍लेटफॉर्म को लांच कि‍या। इसमें ट्वीटर, फेसबुक और वन शामि‍ल है। इस अवसर पर गौड़ा ने कहा कि‍ रेल मंत्रालय आज सामाजि‍क मीडि‍या में अपनी उपस्‍थि‍ति‍ अंकित करा रहा है और रेल बजट से जुड़ी घोषणाओं की जानकारी उपलब्‍ध कराने के लि‍ए एक प्रणाली उपलब्‍ध करा रहा है। यह एक वि‍शेष पटल है जि‍ससे रेलवे को अपनी यात्रि‍यों से महत्‍वपूर्ण प्रति‍क्रि‍याएं प्राप्‍त हो सकेंगी। उन्‍होंने कहा कि‍ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी नेतृत्‍व में राष्‍ट्रीय जनतांत्रि‍क गठबंधन सरकार की वि‍शेषता सोशल मीडि‍या का उपयोग है, जि‍ससे पारदर्शि‍‍ता एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहायता मि‍लेगी। 
रेल राज्‍य मंत्री मनोज सिन्‍हा ने कहा कि‍ भारतीय रेल परि‍वर्तन की यात्रा पर है और वह अपनी उपलब्‍धि‍यों से लोगों को अवगत कराने के लि‍ए सोशल मीडि‍या के उपयोग को लेकर आशान्‍वि‍त है तथा रेलयात्रि‍यों से निरंतर संपर्क में रहना चाहता है, उन्‍होंने कहा कि‍ एक प्रगति‍शील एवं पारदर्शी संस्‍थान होने के दृष्टिगत हम सामाजि‍क मीडि‍या में अपनी उपस्‍थि‍ति‍ को बढ़ाकर अत्यधिक आनंदि‍त हैं। 
इस कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के चैयरमेन अरूणेंद्र कुमार ने कहा कि‍ रेलवे तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी और सोशल मीडि‍या का यह प्रयास इसके तकनीकी वि‍कास में सहायता करेगा। 
रेलवे बजट 2014 के बारे में पल-पल की जानकारी 08 जुलाई 2014 को www.facebook.com/RailMinindia या www.twitter.com/RailMinindia या www.youtube.com/user/RailMinindia पर ली जा सकती है या 022-4501-5555 पर सुना जा सकता है। इन खातों को रेल मंत्रालय के वेबसाईट www.indianrailways.gov.in के माध्यम प्राप्त कि‍या जा सकता है। ये सभी कहते 08 जुलाई 2014 से सक्रि‍य रहेंगे। 
फैक्‍ट्री अधिनियम,1948 में संशोधन 
खान, इस्‍पात और श्रम एवं रोजगार राज्‍यमंत्री विष्‍णु देव साई ने बताया है कि राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के आकड़ों के अनुसार वर्ष 2009-10 में श्रमशक्ति की कुल संख्‍या 46.5 करोड़ थी। इसमें से प्राय:-प्राय: 2.8 करोड़ (6%) लोग संगठित क्षेत्र में थे तथा शेष 43.7 करोड़ (94%) लोग असंगठित क्षेत्र में थे। अधिकांश श्रम कानून केवल संगठित क्षेत्र पर ही लागू हैं, जिनकी संख्‍या कुल श्रमशक्ति का प्राय: 6% ही है।
      लोक सभा में आज एक लिखित उत्‍तर में विष्‍णु देव साई ने बताया कि सरकार ने श्रम सुधार लाने की दृष्टि से फैक्‍ट्री अधिनियम 1948 में संशोधन के लिए एक विस्‍तृत प्रस्‍ताव तैयार किया है। प्रस्‍तावित प्रमुख संशोधनों में निम्‍नलिखित शामिल हैं।
§         कतिपय शर्तों के साथ फैक्‍ट्र‍ियों में महिलाओं के रात में काम करने पर प्रतिबंधों में छूट।
§         एक तिमाही में ओवरटाइम (वर्तमान 50 घंटे) की समय सीमा को बढ़ाकर 100घंटे करना
§         अपराधों को सम्मिश्र करने के संबंध में एक नई उपधारा को लागू करना।
§         कामगारों की सुर‍क्षा के लिए व्‍यक्ति‍गत सुरक्षा उपकरण का प्रावधान/ गन्ध और गैसों के प्रति अधिक सावधानियां।
§         नियम बनाने के लिए केंद्र सरकार को शक्ति प्रदान करना (वर्तमान में एक राज्‍य सरकारें ही नियम बनाती हैं।)
मंत्री महोदय ने बताया कि फैक्‍ट्री अधिनियम 1948 में संशोधन की प्रक्रिया में सरकार ने योजना आयोग के पूर्व सदस्‍य डॉ. नरेन्‍द्र जाधव की अध्‍यक्षता में 2011 में एक वि‍शेषज्ञ समिति की स्‍थापना की थी। इस वि‍शेषज्ञ समिति ने जनवरी से मार्च 2011 में कर्मचारी और कामगार संगठनों (श्रम संगठनों) को शामिल करते हुए बैठकों की एक श्रृंखला चलाई थी। श्रम संगठनों और नियोक्‍ता प्रतिनिधियों के सुझावों पर वि‍शेषज्ञ समिति द्वारा विचार किया गया है।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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Friday, July 4, 2014

जम्मू और कश्मीर जीवन स्तर में सुधार , कटरा-उधमपुर रेल

माता वैष्णोदेवी कटरा-उधमपुर रेल लाइन उरी-2 पनबिजली परियोजना, प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित की, कटरा से उधमपुर के लिए पहली रेल सेवा का शुभारम्भ किया 
यह दिवस जम्मू और कश्मीर के विकास में गति और ऊर्जा लेकर आया है-प्रधानमंत्री 
“हम जम्मू-कश्मीर के विकास को ऊर्जावान और गतिवान बनाएंगे”-प्रधानमंत्री 
रेल का नाम श्री शक्ति एक्सप्रेस होना चाहिए, कटरा रेलवे स्टेशन सौर ऊर्जा रेलवे स्टेशन का मॉडल होगा-प्रधानमंत्री+प्रधानमंत्री ने 240 मेगावाट क्षमता वाली उरी-2 पनबिजली परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की +प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में बादामी बाग छावनी का प्रवास किया जवानों को संबोधित किया शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीनगर में स्थित बादामी बाग छावनी की यात्रा की। /
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीनगर में बादामी बाग छावनी का प्रवास किया। छावनी पहुंचने पर प्रधानमंत्री का स्वागत उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट दलबीर सिंह, उत्तर कमांड के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा, चिनार कोर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने किया। चिनार कोर्प्स मुख्यालय में वह युद्ध स्मारक गए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन से जुड़े और नियंत्रण रेखा के साथ लगे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे, 15 कोर्प्स के युद्ध स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्होंने सेना के 1,000 से भी अधिक जवानों और अधिकारियों को संबोधित किया। जवानों के पराक्रम और उत्साह की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा उपकरण निर्माण में आत्मनिर्भरता राष्ट्र की आत्मरक्षा के लिए आवश्यक है। भारतीय रक्षा सेनाओं की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सुदृढ़ सशस्त्र सेना देश में शांति, मेल-मिलाप, सद्भाव और बंधुत्व के वातावरण के लिए आवश्यक है और यही एक ऐसी नींव है, जिस पर भारत विकास की नई ऊंचाइयां अर्जित करेगा। मोदी ने कहा कि इसीलिए वह सेना के आधुनिकीकरण को सबसे ऊंची प्राथमिकता के रूप में स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्व भारत को बड़ी आशा से देख रहा है और हम सभी विकसित देशों से समान स्तर पर बात कर सकते हैं। 
मोदी ने कहा कि सेना की नि:स्वार्थता और त्याग की भावना सभी भारतीयों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने आगे कहा कि यही भावना हर समय उनकी जीत को सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि भारत की जनता उनमें आस्था रखती है और विश्वास करती है कि धरती पर कोई भी ताकत, उन्हें हरा नहीं सकती। प्रधानमंत्री ने मातृभूमि के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले जवानों की स्मृति में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक निर्माण करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि सैनिकों और उनके परिवारों की चिंता करना, सब भारतीयों का सामूहिक दायित्व है और उनकी सरकार जवानों के हितों में सभी अच्छे निर्णय करेगी। 
इससे पहले प्रधानमंत्री ने बादामी बाग छावनी शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने स्मारक आगंतुक पुस्तिका में भी लिखा और निकटवर्ती 1,200 वर्ष पुराने शिव मंदिर में भी गए। 
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज जम्‍मू-कश्‍मीर में 2290 करोड़ रुपये की लागत वाली राष्‍ट्रीय पनबिजली निगम (एनएचपीसी) द्वारा तैयार 240 मेगावाट क्षमता की उरी-2 पनबिजली परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की। 
परियोजना स्‍थल पर लोगों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री महोदय ने कहा कि उनकी सरकार देश से अंधेरे को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि इस परियोजना को श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के काल में आरम्भ किया गया था और हमने उस सपने को साकार किया है। 
उन्‍होंने कहा कि देश में 1.5 लाख मेगावाट पनबिजली उत्‍पादन की संभावना है, किंतु अब तक हम इसके बड़े भाग से लाभ प्राप्‍त करने में समर्थ नहीं हो पाये हैं। आज जबकि वैश्विक तपन एक ऐसा मुद्दा है जो पूरी मानव जाति को प्रभावित करता है, हम अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर अधिकतम बल देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्‍य अधिकतम पनबिजली संभावना का लाभ प्राप्‍त करना है। उन्‍होंने कहा कि विकास और आर्थिक वृद्धि के लिए बिजली एक अनिवार्य आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा‍ कि जम्‍मू-कश्‍मीर की पूरी अर्थव्‍यवस्‍था को पनबिजली परियोजनाओं से ताकत मिलेगी। भूटान का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि उस देश की अर्थव्यवस्‍था का केंद्र अब पनबिजली तैयार हो रहा है। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिजली पारेषण (ट्रांसमिशन) लाइनों के नेटवर्क की ओर पर्याप्‍त ध्‍यान नहीं दिया गया है और उनकी सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्रारूप के माध्‍यम से इस कार्य को आगे ले जाएगी। 
जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्‍यपाल एन एन वोहरा, जम्मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला और बिजली राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल इस अवसर पर उपस्थित थे।  
प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने आज श्री माता वैष्णोदेवी कटरा-उधमपुर रेल लाइन राष्ट्र को समर्पित की। प्रधानमंत्री कटरा रेलवे स्टेशन से उधमपुर के लिए पहली रेल सेवा को हरी झंडी दिखाई और रेल में यात्रा करने वाले विद्यालय के छात्र-छात्राओं से बातचीत की। इस रेल को बच्चों के “भारत माता की जय” उद्घोष के साथ रवाना किया गया। 
प्रधानमंत्री ने रेलवे स्टेशन का भी निरिक्षण किया और सुझाव दिया कि स्टेशन की ऊर्जा आवश्यकताओं को सौर ऊर्जा के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए। मोदी ने कहा कि कटरा रेलवे स्टेशन को पर्यावरण अनुकूल और लोगों के अनुकूल रेलवे स्टेशन बनाया जाना चाहिए। जिससे सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा। 
इस अवसर पर, कटरा में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जारी अमरनाथ यात्रा और रमज़ान का पवित्र माह तथा अब श्री माता वैष्णोदेवी के भक्तों को उनके समीप लाने वाली, इस नई रेल लाइन के समागम से एक अति पवित्र अवसर बन गया है। मोदी ने कहा कि यह रेलवे लाइन मात्र जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए ही नही, बल्कि पवित्र वैष्णोदेवी की गुफा की यात्रा के इच्छुक 125 करोड़ भारतीयों और सम्पूर्ण देश के लिए एक उपहार है और उन्हें इस उपहार को देते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है। मोदी ने कहा कि उन्होंने रेल मंत्री को सुझाव दिया है कि इस रेल का नाम श्री शक्ति एक्सप्रेस होना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं के लाभ के लिए रेलवे स्टेशन पर उपयोग की जाने वाली सुविधाओं और उत्तम तकनीकों के लिए, माता वैष्णोदेवी गुफा बोर्ड को भी शुभकामनाएं दी। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर का विकास बिना बाधा के जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कटरा में नए रेलवे स्टेशन के साथ राज्य में और अधिक भव्य विकास किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर से पूर्वोत्तर तक के हिमालयी राज्यों के लिए समान विकास मॉडल की दिशा में काम करेगी। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि कटरा अब जम्मू और कश्मीर के विकास में केन्द्र बिन्दु बन चुका है और यह राज्य के विकास की गति का इंजन बनेगा। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बनिहाल तक रेल सेवा के विस्तार के माध्यम से श्री वाजपेयी के स्वप्न को पूर्ण करने की दिशा में कार्य करेगी। 
मोदी ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि रेल और बस संपर्क को पहली बार जोड़ा जा चुका है। इस सुविधा के माध्यम से यात्री एक ही टिकट के माध्यम से रेल अथवा बस दोनों से यात्रा कर सकेगा। उन्होंने इस सुविधा को एक मिश्रित मॉडल का नाम दिया। उन्होंने कहा कि कटरा को देशभर से 6 युगल रेलों के माध्यम से भी जोड़ा जा रहा ह। प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों को विश्वास दिलाया कि बड़े शहरों और जम्मू जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का आधुनिकीकरण उनकी सरकार की प्राथमिकता है। 
इस दिवस के महत्व पर अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि इस रेल के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के विकास को गति और उड़ी-2 पनबिजली परियोजना के माध्यम से ऊर्जा मिली है, जिसका वह दिन में उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कहा कि वह माता वैष्णोदेवी के आशीवार्द से देश की विकास यात्रा का शुभारम्भ कर रहें है। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार इस विकास यात्रा को आगे ले जाएगी, नए आयाम स्थापित करेगी और आम आदमी के लाभ की दिशा में कार्य करेगी। मोदी ने कहा कि उनका उद्देश्य विकास और समग्र लाभ के माध्यम से जम्मू और कश्मीर के लोगों का दिल जीतना है। मोदी ने कहा कि उनकी मंशा किसी राजनीतिक जीत या हार की नही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने, कठिन समय बिताया है, सत्ता में हों या न हों, उनकी यह इच्छा और दायित्व है कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके, उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके, युवाओं को रोजगार और हर स्तर के व्यक्ति तक पहुंच बनाई जा सके। 
इस अवसर पर अपने संबोधन में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में रेल लाने का श्रेय सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य में रेल नेटवर्क के आगे विस्तार तथा जम्मू रेलवे स्टेशन का उन्नयन किए जाने की भी अपील की। 
रेल मंत्री संदानंद गौडा ने कहा कि माता वैष्णोदेवी के भक्तों की इच्छा को एक लंबे समय के बाद पूर्ण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि माता वैष्णोदेवी के भक्तों की इच्छा को प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी के राज्य में पहले प्रवास के माध्यम से पूर्ण किया गया है। 
अपने समापन संबोधन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरुणेन्द्र कुमार ने प्रधानमंत्री को विश्वास दिलाया कि कटरा रेलवे स्टेशन को एक मॉडल सौर ऊर्जा स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। 
इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. बोहरा, राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, रेल मंत्री सदानंद गौडा, रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह और अरुणेन्द्र कुमार उपस्थित थे। 
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Thursday, July 3, 2014

महिला आयोग एवं लघु उद्योग संघ भी

राष्‍ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 में संशोधन का प्रस्‍ताव +केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने एमएसएमई संघों के साथ विचार-विमर्श किया 
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 में संशोधन कर राष्‍ट्रीय महिला आयोग को अतिरिक्‍त शक्तियां देने का प्रस्‍ताव रखा है। प्रस्‍तावित संशोधन मंत्रालय की वेबसाइट (wcd.nic.in) पर डाल दिये गए हैं और सिविल सोसायटी संगठनों, रूचि रखने वाले अन्‍य समूहों और व्‍यक्तियों से 15.07.2014 तक टिप्‍पणियां/सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। 
सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने, हरि शंकर सिंघानिया ने आज नई दिल्‍ली में देशभर के एमएसएमई संघों के साथ बातचीत की। नई सरकार के गठन के बाद यह पहला अवसर था जब मंत्री की अखिल भारतीय स्‍तर पर एमएसएमई संघों के साथ सामान्‍य, आंचलिक तथा क्षेत्रीय महत्‍व के मुद्दों पर चर्चा हो। उन्‍होंने उद्योग के लिए सरकारी सहयोग पैकेज की संकल्‍पना, विकास तथा कार्यान्‍वयन में सक्रिय भूमिका निर्वहन करने की लिए उद्योगसंघों और व्‍यवसाय व विनिर्माता संगठनों की प्रशंसा की तथा इस क्षेत्र को प्रस्तुत आ रही विभिन्‍न समस्‍याओं के नए समाधान सुझाने तथा नीति निर्माण और कार्यान्‍वयन के लिए रचनात्‍मक सुझाव देने का अनुरोध किया। 
कलराज मिश्र ने बताया कि एमएसएमई अधिनियम 2006 के रूप में एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशिष्‍ट कानून बनाने वाला भारत पहला देश है। उन्‍होंने उद्योग संघों को आश्‍वासन दिया कि शीघ्र ही उनकी चिंताओं को दूर किया जाएगा। आगामी पांच वर्ष में इस क्षेत्र में रोजगार के श्रेष्ठ अवसर होंगे। इस अवसर पर मंत्रालय केवीआईसी, एनएसआईसी और सिडबी सहित देशभर के प्रमुख संघों और अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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Wednesday, July 2, 2014

उपभोक्ता हित सर्वोपरि

राजमार्ग, वायुमार्ग, ऊर्जा और अपशिष्ट जल क्षेत्र 
राष्‍ट्रीय राजमार्ग अन्‍तर-सम्‍पर्कता सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के लिए भारत ने 50 करोड़ अम‍रीकी डॉलर की आईबीआरडी सहायता के लिए विश्‍व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये नागरि‍क उड्डयन मंत्रालय की उच्‍च प्राथमि‍कता में है, यात्रि‍यों से संबंधि‍त पहल +घरेलू एलपीजी/पीडीएस मिट्टी तेल, उपभोक्ताओं पर भार को कम करने के लिए उपाय +कृषि मंत्री ने आईएआरआई के पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल के अनुरूप नागरि‍क उड्डयन मंत्रालय ने यात्रि‍यों से संबंधि‍त कुछ बड़े मसलों की पहचान की है और उसे पूर्ण करने का बीड़ा उठाया है। इसका तात्‍पर्य है कि‍ यात्रि‍यों को श्रेष्ठ सुवि‍धा मि‍लेगी और लोगों के अनुरूप तंत्र बन सकेगा। इन पहल में शामि‍ल है:
1.      सभी भारतीय और वि‍देशी 'एयरलाइनों तथा एयरपोर्ट' परिचालकों से कहा गया है कि‍ वे विशेष कर वरि‍ष्‍ठ नागरि‍कों गर्भवती महि‍लाओं और अशक्‍त यात्रि‍यों की सुवि‍धा के लि‍ए वि‍शेष सुवि‍धाएं जैसे ऑटोमेटि‍क गाड़ि‍यों और छोटे 'हैंड बैगेज ट्राली' की व्‍यवस्‍था करे। इसके लि‍ए कोई शुल्‍क नहीं लि‍या जाय।
2.      देश के सभी परिचालन हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ/ सुरक्षा सहायता केंद्र बनाने का नि‍र्णय लि‍या गया है।
3.      एयर इंडि‍या को कहा गया है कि‍ वह इंटरनेट से कराए जाने वाली बुकिंग की प्रक्रि‍या सरल करें और भुगतान और खो गए सामान के दामों का तेजी से समाधान हो सके।
4.      श्री अमरनाथ जी यात्रा के लि‍ए हेलीकॉप्‍टर सेवा प्रदान करने वाले से कहा गया है कि‍ वह श्रद्धालुओं के लि‍ए हेलीपेड पर कुछ मुलभुत सुवि‍धा जैसे पीने का पानी, चाय कॉफी और मूंगफली और सूखे मैवे जैसे स्‍नैक्‍स की व्‍यवस्‍था नि‍:शुल्‍क करे। यह यात्रा 28 जून से शुरू हो गई है।
5.      डीजीसीए हर शुक्रवार को दोपहर बाद 2:00 बजे से 5:00 बजे तक जन्‍म मि‍त्र दि‍वस का अयोजन करेगा, जि‍समें कोई भी व्‍यक्‍ति‍ बि‍ना पूर्वानुमति‍ के डीजीसीए के अधि‍कारि‍यों से मि‍ल सकेंगे।
इसके अतिरिक्त भी कुछ व्‍यवस्‍था की गई है, जो कि‍ भारतीय वि‍मानपत्‍तन प्राधि‍करण और महानि‍देशक नागरि‍क उड्डयन (डीजीसीए) से संबंधि‍त है।
भारत सरकार तथा विश्‍व बैंक ने आज यहां राष्‍ट्रीय राजमार्ग अन्‍तर-सम्‍पर्कता सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के लिए, 50 करोड़ अम‍रीकी डॉलर की आईबीआरडी सहायता के लिए, विश्‍व बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये है। भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्‍त सचिव श्री नीलाया मिताश तथा भारत में विश्‍व बैंक के संचालन सलाहकार माइकल हैनी ने विश्‍व बैंक की ओर से समझौते पर हस्‍ताक्षर किये। 
इस परियोजना का उद्देश्‍य कम विकसित राज्‍यों के साथ राष्‍ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क सम्‍पर्कता में सुधार करना तथा राजमार्ग नेटवर्क के उत्तम संचालन के लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की संस्‍थागत क्षमता बढ़ाना है। परियोजना के अन्‍तर्गत कम आय वाले राज्‍यों ( बिहार, उड़ीसा तथा राजस्‍थान) व दो मध्‍य आय वाले राज्‍य (कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल) के कम विकास वाले क्षेत्रों में, राष्‍ट्रीय राजमार्ग की वर्तमान लगभग एक हजार एक सौ बीस किलोमीटर एकल/मध्‍यवर्ती लेन का उन्‍नयन करना शामिल है। इस सम्‍पूर्ण परियोजना का आकार 114.605 करोड़ अमरीकी डॉलर है। 
सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार इस परियोजना की कार्यान्‍वयन संस्था है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज), प्रवेश कर, चुंगी, ,वैट पर इनपुट कर, संबंधी प्रतिबंधों जैसी उगाहियों के कारण, कुछ राज्य विशिष्ट लागतें (एसएससी) वहन करती हैं, जो ओएमसीज के लिए वसूली योग्य नहीं होती हैं। 
यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुछ भारतीय राज्यों की राजस्व संबंधी मांगें, पूरे देश के उपभोक्ताओं के लिए भार नहीं बन जाएं, सरकार ने ऐसे करों को वसूल करने वाले राज्य/नगरपालिका क्षेत्र के उपभोक्ताओं से, गैर वसूली योग्य उगाहियों की भरपाई के लिए 24 जुलाई 2012 को राज्य‍ विशिष्ट लागतों की, एक योजना आरम्भ की थी। 
इस योजना के अनुसार, ओएमसीज उन 12 राज्यों के संबंध में पीडीएस मिट्टी तेल और घरेलू एलपीजी सहित संवेदनशील पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा बिक्री मूल्यू (आरएसपी) में तिमाही आधार पर संशोधन कर रही थीं, जहां ऐसे राज्य विशिष्ट कर वहन किए जा रहे थे। इन राज्यों में नवीनतम संशोधन जुलाई 2014 में किया जाना था।
इन संशोधनों से, कुछ राज्यों में घरेलू एलपीजी के खुदरा बिक्री मूल्य में वृद्धि हो जानी थी, अर्थात केरल: 4.50 रूपए प्रति सिलेंडर, कर्नाटक: 3.0 रूपए प्रति सिलेंडर, मध्य प्रदेश: 5.50 रूपए प्रति सिलेंडर और उत्तर प्रदेश: 1 रूपया प्रति सिलेंडर और साथ ही कुछ राज्यों में इसमें कमी हो जाती अर्थात असम: 9.50 रूपए प्रति सिलेंडर, बिहार: 1.50 रूपए प्रति सिलेंडर और महाराष्ट्र : 3.00 रूपए प्रति सिलेंडर।
एसएससी योजना से, पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में महाराष्ट्र में 0.11 रूपए प्रति लीटर से लेकर, नवी मुम्बई में 1.32 रूपए प्रति लीटर तक कमी और हरियाणा और उत्तर प्रदेश में क्रमश: 2 पैसे और 8 पैसे की मामूली वृद्धि हो जाती।
सरकार के लिए उपभोक्ताओं का हित सर्वोपरि है और इसलिए एसएससी के संशोधन के कारण घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में हुई वृद्धि के किसी भी प्रभाव से, उपभोक्ताडओं को बचाने का निर्णय लिया है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि उन उपभोक्ताओं के लिए घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्य में संशोधन को, राज्यक सरकारों के साथ राज्य विशिष्ट लागत योजना के संबंध में विचार-विमर्श पूरा होने तक, नहीं किया जाएगा, जिन उपभोक्ता‍ओं के लिए घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के संबंध में एसएससी में वृद्धि हुई थी। तथापि, उपभोक्ताओं के हित में घरेलू एलपीजी और पीडीएस मिट्टी तेल के खुदरा बिक्री मूल्यों में कमी का लाभ, जहां भी लागू हो, सरकार द्वारा एसएससी योजना की समीक्षा किए जाने तक बना रहेगा। 
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां आईएआरआई के जल प्रौद्योगिकी केन्द्र में पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री डॉ संजीव कुमार बालयान, आईसीएआर के निदेशक एस अय्यप्पन और आईएआरआई के निदेशक डॉ एच एस गुप्ता भी उपस्थित थे। 
आईएआरआई का जल प्रौद्योगिकी केन्द्र (डब्ल्यूटीसी) मुख्य रूप से कृषि के क्षेत्र में जल संसाधनों के प्रभावकारी उपयोग के काम में लगा है। इसने अपने दिल्ली परिसर में एक पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र विकसित किया है। यह संयंत्र 1.42 हेक्टेयर में फैला है और कृषि कुंज कॉलोनी से प्राप्त 22 लाख लीटर अपशिष्ट जल का उपचार करने में सक्षम है। इस पर लगभग 1.2 करोड़ रुपए की लागत आई है और आईएआरआई के 330 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई हो पाती है। पर्यावरण अनुकूलित अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (ई-एसटीपी) के तीन उपचार प्रकोष्ठ हैं और प्रत्येक की लंबाई 80 मीटर और चौडाई 40 मीटर है। 
इस संयंत्र की उल्लेखनीय विशेषता यह है कि पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र की तुलना में इससे पर्यावरण पर 33 गुना कम प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि इसके द्वारा उपचारित जल में टर्बीडिटी, बीओडी, नाइट्रेट, फॉस्फेट, आयरन, निकेल और सल्फेट की काफी कम मात्रा पाई जाती है। 
पारंपरिक अपशिष्ट जल उपचार प्रणालियों की तुलना में आईएआरआई की अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकी में केवल 01% ऊर्जा का उपयोग होता है और इसमें रासायनिक पदार्थ का उपयोग बिल्कुल नहीं होता है, साथ ही इसमें चिपचिपा पदार्थ या कीचड़ बिल्कुल भी नहीं बनता है और उपचार पर आने वाली लागत में 50-60% की कमी हो जाती है। इसमें कुशल कामगारों की भी आवश्यकता नहीं होती है। जैविक कचरे के उपयोग द्वारा इसके एक एकीकृत व्यावसायिक प्रारूप में परिणत होने की काफी संभावना है। इसलिए इसे ‘कचरे से नगदी’ नामक व्यावसायिक प्रारूप के नाम से जाना जाता है। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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